अफगानिस्तान के काबुल में स्थित गुरुद्वारा कर्ते परवान साहिब पर बुधवार दोपहर फिर हमला किया गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक इस पवित्र स्थल के मेन गेट पर ब्लास्ट हुआ। घटना के वक्त यहां सिखों के साथ हिंदू समुदाय के कुछ लोग भी यहां मौजूद थे। 18 जून को भी इस गुरुद्वारे पर हमला किया गया था। तब दो लोगों की मौत हुई थी।
खास बात यह है कि 24 जुलाई को ही अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत ने सिखों और हिंदुओं के डेलिगेशन को बुलाकर उनसे बातचीत की थी। तालिबान हुकूमत ने बयान में कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय के जो लोग मुल्क छोड़कर गए हैं, उन्हें हम सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाते हैं। हमारी अपील है कि वो अपने वतन लौट आएं।
दुकान में रखा गया था बम
बुधवार को हुए धमाके के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें एक सिख दुकानदार बताता है कि वो भोजन के लिए बाहर गया था। इसी दौरान उसकी दुकान में ब्लास्ट हुआ। इससे काफी नुकसान हुआ, लेकिन गुरुद्वारे के अंदर मौजूद लोगों और इस दुकानदार किसी को नुकसान नहीं हुआ। घटना के बाद तालिबान पुलिस मौके पर पहुंची और वहां के सीसीटीवी फुटेज चेक किए। बताया गया है कि कुछ लोगों से पूछताछ भी की जा रही है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अब तक कोई बयान जारी नहीं किया गया।
तालिबान का दावा फेल
पिछले साल 15 अगस्त को काबुल के साथ ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद हिंदू और सिख समुदाय पर कई हमले हुए थे। ज्यादातर हमलों का आरोप इस्लामिक स्टेट खोरासान ग्रुप पर लगा था। कुछ अल्पसंख्यकों की मौत भी हुई थी। इसके बाद से हिब्तुल्लाह अखुंदजादा की तालिबान हुकूमत इमेज सुधारने की कवायद में जुटी है।
24 जुलाई को विदेश मंत्रालय के टॉप अफसर डॉक्टर मुल्ला वासी ने अफगान हिंदू और सिख समुदाय के डेलिगेशन को बातचीत के लिए बुलाया। इस दौरान वासी ने समुदाय को पूरी सुरक्षा का भरोसा दिलाया। वासी ने कहा- हम चाहते हैं कि जो हिंदू और सिख समुदाय के लोग देश छोड़कर गए हैं, वो वापस आएं।
-एजेंसी