होली जैसा पावन पर्व जिसमें सारे गिले शिकवे भुला कर अमीर गरीब हिंदू मुस्लिम ऊंच नीच की खाई अब तक मिटटी रही है राम और रहीम गले मिलकर समाज के लिए दुआएं करते रहे हैं। बड़ा दुख होता है कि भाजपा द्वारा हिंदुत्व बाद के नाम पर अब देश को बांटने का कुचक्र रचा जा रहा है ।मथुरा के वृंदावन में होली पर लगने वाले मेले में अब अब्दुल करीम और रहीम की दुकान नहीं लग पाएंगी
अब बच्चों के लिए खिलौने रिजवान नहीं बेच पाएगा । अब साड़ी पर जरी और दरी कालीन हमारा रहमान नहीं बनाएगा। क्योंकि वह मुसलमान हैं। बड़ा अजीब सा दुख होता है कि देश के लिए क्या अशफाक उल्ला खां ने फांसी का फंदा नहीं चूमा था? क्या देश के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अंग्रेजों की लाठियां नहीं खाई थी? जेल यात्रा नहीं सही थी? क्या 1971 के युद्ध में अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के पैटन टैंको को तोड़कर अपनी शहादत नहीं दी थी? क्या अब रसखान और रहीम के दोहे कोई हिंदू नहीं पड़ेगा ?
क्या रसखान द्वारा भगवान कृष्ण और वृंदावन के लिए लिखी गई कविता कि मानस हो तो वही रसखान बसों ब्रज गोकुल गांव के ग्वारन। पाहन हो तो वहीं गिरि को जो धरयो पुर छत्र पुरंदर धारन। को हिंदू बच्चे नहीं पढ़ेंगे ?।कैसा कुचक्र रचा जा रहा है ? क्या ईद पर सलमान और सुनील अब गले नहीं मिल पाएंगे? क्या होली हम अकेले ही मनाएंगे ? क्या ढोल नगाड़ों के साथ हमारे भाई हमारी खुशी में शामिल नहीं होने दिए जाएंगे? किस देश की रचना की जा रही है भाजपा के द्वारा । यह कैसा हिंदुत्व है? यह कैसा सनातन प्रेम है ?
जिस सनातन धर्म ने सदियों से वसुधैव कुटुंबकम का नारा दिया है। जिसका तात्पर्य है कि भारत ही नहीं सारा विश्व ही परिवार है। आज हिंदुत्व के नाम पर यह जहर के बीज क्यों बोए जा रहे हैं। राम और पैगंबर को क्यों बांटा जा रहा है
अल्लाह और ईश्वर में भेद क्यों किया जा रहा है? क्या अब सूर्य की रोशनी चंद्रमा की शीतलता सिर्फ भाजपाई हिंदू ही ले पाएंगे ?क्या हमारे दुख सुख में साथ रहने वाले वतन के लिए मर मिटने वाले हमारे मुस्लिम भाइयों को कोई हक नहीं? क्या हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस में सब भाई भाई का नारा खत्म बेमानी हो गया?
तो आइए देखते हैं आस्तीन के इन सांपों को कि कैसे बांटते हैं इस प्यारे वतन को। कैसे उजाड़ते हैं हर तरह के फूलों से सजे इस चमन को? आइए हम सब मिलकर लड़े सदियों पुरानी मानवता को बचाने के लिए।