जन्मदिन विशेष: जिंदादिली की जीती-जागती मिसाल हैं क्रिकेट के गब्बर शिखर धवन

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किसी वक्त मैदान पर विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए मशहूर रहे शिखर धवन आज भले ही टीम इंडिया से बाहर चल रहे हों, लेकिन उनकी जिंदगी से हम काफी कुछ सीख सकते हैं।
बीवी से तलाक और इकलौते बेटे से दूरी के बीच खराब फॉर्म तथा टीम से बाहर होने के बावजूद गब्बर के नाम से मशहूर धवन, जिंदादिली की जीती-जागती मिसाल हैं। चलिए उनके जन्मदिन पर हम जानते हैं कि शिखर धवन से हम कौन सी पांच बातें सीख सकते हैं।

हर शुरुआत छोटी ही होती है​

वेस्ट दिल्ली के मिडिल क्लास परिवार में पैदा हुए शिखर धवन की जिंदगी शुरू से ही उतार-चढ़ाव भरी रही। घरेलू टूर्नामेंट में खेलकर अपने कौशल को निखारा। अपनी प्राकृतिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। दिल्ली की ओर से खेलते हुए अपनी बैटिंग के दम पर अलग-अलग आयु वर्ग में सिलेक्ट हुए। लंबे संघर्ष के बाद उन्हें साल 2010 में पहली बार राष्ट्रीय टीम में जगह मिली और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे डेब्यू किया। धवन का फर्श से अर्श तक पहुंचने का सफर बताता है कि हर इंसान की शुरुआत छोटी ही होती है।

मौके पर चौका मारना

शिखर धवन को पता था कि उन्हें टीम इंडिया में कितनी मुश्किल से मौका मिला है। एक-एक स्लॉट के लिए जमकर मारामारी है। ऐसे में अगर खुद की जगह पक्की करनी है तो पहले ही मौके पर चौका मारना होगा। धवन ने किया भी यही। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले वनडे इंटरनेशनल में बिना खाता खोले आउट होने के बाद जब तीन साल बाद टेस्ट डेब्यू का मौका मिला तो इस बार कोई चूक नहीं करते हुए 174 गेंद में 187 रन की शानदार पारी खेल डाली और बताया कि अब वह मौकों को गंवाया नहीं करते बल्कि दोनों हाथों से बटोरते हैं।

स्टारडम मिलने के बाद भी लो प्रोफाइल

भारत ने आखिरी बार आईसीसी टूर्नामेंट 2013 में जीता तब इंग्लैंड में खेली गई उस चैंपियंस ट्रॉफी में शिखर धवन भारत के चमकते सितारे थे। सिर्फ पांच मैच में 363 रन बनाकर वह टूर्नामेंट के हाइएस्ट रन स्कोरर बनकर उभरे थे। ये पहला मौका था, जब हिंदुस्तानियों ने मूंछ पर ताव देने वाले बाएं हाथ के बल्लेबाज में अपना हीरो तलाश लिया था। यहां से धवन के सितारे बुलंदियों पर जाना शुरू हुए, लेकिन गब्बर के पैर जमीन पर बने रहे। टीम इंडिया के बड़े स्टार बनने के बावजूद वह लो प्रोफाइल बने रहे। किसी तरह के विवाद में नहीं फंसे। गलत वजहों से चर्चा में नहीं आए।

किंचित नहीं भयभीत मैं

क्रिकेट में अपार सफलता के बावजूद शिखर धवन की पर्सनल लाइफ हमेशा चुनौतियों से भरी रही। खुद से 10 साल बड़ी तलाकशुदा और दो बच्चों की मां आयशा मुखर्जी से शादी उनकी जिंदगी का एक गलत फैसला साबित हुआ। कानूनी लड़ाई और मानसिक पीड़ा ने भले ही उनके खेल को प्रभावित किया हो, लेकिन धवन लचीले बने रहे और क्रिकेट के प्रति अपने जुनून पर फोकस कर रहे हैं।

हर हालात में मुस्कुराना

अपनी निजी जिंदगी में भयंकर परेशानियों से गुजरने के बावजूद शिखर धवन की मुस्कुराहट कम नहीं होती। अपने इकलौते बेटे से दूर रहने का दर्द रह-रहकर उन्हें सताता है। टीम से बाहर होने पर भी वह बड़ी साफगोई से कहते हैं कि युवा खिलाड़ी उनसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं इसलिए वह टीम का हिस्सा हैं।

Compiled: up18 News