बिहार में IAS जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन सिंह को आज सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया है. सहरसा के जेल सुपरिटेंडेंट ने बताया है कि यह जेल मैनुअल में लिखा है कि किसी भी क़ैदी को रिहा करना हो तो यह सुबह ही होगा.
आनंद मोहन को सुबह 6:15 पर रिहा किया गया है. जेल सुपरिटेंडेंट के मुताबिक़ आनंद मोहन की रिहाई बुधवार को ही हो जाती लेकिन प्रक्रिया में देरी की वजह से रिहाई आज हुई है.
बिहार की नीतीश सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन करते हुए सांसद रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन समेत 27 लोगों की रिहाई के आदेश दिए हैं.
बाहुबली नेता आनंद मोहन को इस मामले में उम्र क़ैद की सज़ा मिली थी.
क्या था मामला
5 दिसंबर 1994 के दिन बिहार के गोपालगंज के ज़िलाधिकारी की हत्या बीच सड़क पर कर दी गई थी. आनंद मोहन पर उस दिन भीड़ को भड़काने का आरोप लगा था.
इस मामले में आनंद मोहन को निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसे पटना हाई कोर्ट ने उम्र क़ैद में बदल दिया.
आनंद मोहन राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन उसे इस मामले में कोई राहत नहीं मिली थी.
आनंद मोहन विधायक और सांसद रह चुका देश का पहला ऐसा नेता था जिसे फ़ांसी की सज़ा सुनाई गई थी.
कौन हैं आनंद मोहन
बिहार के सहरसा ज़िले के पंचगछिया गाँव के रहने वाले आनंद मोहन ने छात्र जीवन में ही 1974 के जेपी आंदोलन के दौरान राजपूतों के एक बड़े चेहरे के तौर पर पहचान बना ली थी. आनंद मोहन ने साल 1990 में जनता दल के टिकट पर महिषी से विधानसभा का चुनाव जीता था.
इस समय तक आनंद मोहन कोसी के इलाक़े में एक बाहुबली राजपूत नेता के तौर पर सुर्ख़ियों में रहने लगा था.
आनंद मोहन बिहार में अख़बारों और पत्र पत्रिकाओं में छपी तस्वीरों में कभी घोड़े की सवारी करते, तो कभी बंदूक के साथ दिखता था.
उसे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का भी क़रीबी माना जाता था जो उसकी ही जाति के थे.
Compiled: up18 News
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