नई दिल्ली। देशभर के होम बायर्स को NCLT की दखल के बाद भी प्रोजेक्ट्स समय पर नही मिल पा रहा है जिसके बाद अब सरकार ने इसके लिए एक पैनल गठित कर दिया है. पैनल की जिम्मेदारी होगी कि लोगों को उनका आशियाना समय पर दिया जा सके. उम्मीद की जा रही है कि सरकार के मेगा प्लान के बाद जल्द ही लाखों होम बायर्स को उनका घर मिल जायेगा.
सरकार के इस मेगा प्लान से लाखों होम बायर्स को बहुत बड़ी राहत मिलेगी. पैनल के मुताबिक, देश भर में चार लाख से ज्यादा प्रोजेक्ट रुके हुए हैं जिनकी कुल कीमत लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये है. पैनल ने देश भर में रुके हुए प्रोजेक्ट्स पर विचार किया। इसमें दिल्ली NCR के नोएडा और गुड़गांव के साथ-साथ महाराष्ट्र के भी कई प्रोजेक्ट्स शामिल हैं.
सरकार का ये है मेगा प्लान
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी के सूत्रों ने बताया कि दिवाला और दिवालियापन कोड में बदलाव करना चाहिए, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि रियल एस्टेट कंपनी के आधार पर समाधान निकालने की बजाय प्रोजेक्ट बेस हल निकाला जा सके. इसका मतलब है कि किसी कंपनी के सभी प्रोजेक्ट्स को प्रभावित करने की बजाय किसी एक प्रोजेक्ट का समाधान निकाला जा सकता है. ऐसा करने से कंपनी के बाकी प्रोजेक्ट प्रभावित नहीं होंगे.
ऐसे निकलेगा हल
इसके अलावा पैनल ने सुझाव दिया है कि दिवाला समाधान प्रक्रिया के दौरान लेनदारों को दी गई छूट का विस्तार उन होम बायर्स तक नहीं होना चाहिए, जिनके पास अपने अपार्टमेंट, प्लॉट या विला हैं. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे में बिल्डर्स पर 40 हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया है. प्रीमियम, पेनाल्टी, इंटरेस्ट बकाया की वजह से कई प्रोजेक्ट्स लटके हुए हैं. नोएडा की परियोजनाओं के लिए 4 साल की मोहलत का प्रस्ताव दिया गया है.
ये लीड करेंगे पैनल
सरकार के इस पैनल को अमिताभ कांत 14 अन्य मेंबर के साथ लीड करेंगे. अमिताभ कांत ने अपनी रिपोर्ट मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग और अर्बन अफेयर्स को सौंप दी है. पैनल ने सुझाव दिया है कि होम बायर्स की परेशानी का सोल्यूशन कंपनी वाइज नहीं बल्कि प्रोजेक्ट वाइज किया जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, बिल्डरों ने पैनल को बताया कि कैसे ऑथोरिटी वालों ने उनपर जुर्माना लगाया है और डेडलाइन खत्म होने के बाद भुगतान न कर पाने पर उनपर जुर्माना भी बढ़ता जा रहा है.
अब इसके रिसोल्यूशन के लिए पैनल तीन चरणों में काम करेगा. सबसे पहले देखा जायेगा कि किस प्रोजेक्ट का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है. दूसरा कहां प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद अटकी फॉर्मलिटीज और तीसरा कि कहां बिल्डर ने बिना रजिस्ट्री के पोजेशन दे दिया है. बता दें, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, दिल्ली और महाराष्ट्र में ऐसी कई प्रॉपर्टी हैं जहां करोड़ों के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं और होम बायर्स को अब तक घर नहीं मिला है.
सरकार के मास्टर प्लान के बाद जिन लोगों को NCLT की दखल के बाद भी उनका घर नहीं मिल पा रहा है उन्हें अब जल्द घर मिलने की उम्मीद है.
लोगों को मिलेगी उनकी रजिस्ट्री
अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, मोदी सरकार की योजना देशभर के लाखों होम बायर्स को राहत देने की है जो अपनी गाढ़ी कमाई देने के बाद भी घर की चाबी नहीं ले पाएं हैं. सरकार का मनना है कि होमबॉयर्स इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत वित्तीय लेनदार भी हैं. ऐसे में अगर कोई बिल्डर दिवालिया हो जाता है तो भी उसके प्रोजेक्ट में होम बायर्स का हिस्सा है. ऐसे में उसको रजिस्ट्री दी जाएगी. रियल्टी के जानकारों का कहना है कि इस पहल से होम बायर्स बचा हुआ पैसा लेने में भी मदद मिलेगी. बहुत सारे अटके प्रोजेक्ट में होम बायर्स बकाया रकम देने के इच्छुक नहीं है. इसके साथ ही रजिस्ट्री शुरू होने से राज्य सरकार की रेवन्यू भी बढ़ेगा.
– एजेंसी
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