नई दिल्ली। UNEP की ओर से आयोजित की जा रही इस बैठक में 55 देश हिस्सा ले रहे हैं. ये वे देश है जो प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल के उत्पादन को सीमित करने के साथ-साथ इसको रीसाइकिल करने के पक्ष में हैं.
विश्व में बढ़ते प्लास्टिक के प्रयोग और उसके नुकसान को देखते हुए इस पर लगाम लगाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. यूएन एनवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) ने इसके लिए ग्लोबल प्लास्टिक ट्रीटी की योजना बनाई है. फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली बैठक में इस पर चर्चा होगी.UNEP की ओर से आयोजित की जा रही इस बैठक में 55 देश हिस्सा ले रहे हैं.
ये वे देश है जो प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल के उत्पादन को सीमित करने के साथ-साथ इसको रीसाइकिल करने के पक्ष में हैं. बैठक से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने भी एक वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. हमें इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.
क्या है ग्लोबल प्लास्टिक ट्रिटी
ग्लोबल प्लास्टिक ट्रिटी यानी वैश्विक प्लास्टिक संधि उस प्रक्रिया का अगला चरण है जो फरवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के पांचवें सत्र में शुरू हुई थी. उस दौरान प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी विकसित करने की बात कही गई थी. अब पेरिस में इस पर चर्चा की जानी है, इसमें 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण में 80% तक कमी लाने के लिए यूएन के रोडमैप पर चर्चा की जाएगी और सभी 55 देशों के बीच सहमति बनाने के प्रयास होंगे कि वे यूएन की सुझाए गर सुधार के प्रयासों को मानें.
क्या है यूएन का प्लान
पेरिस में प्रस्तावित बैठक से पहले यूएन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, इसमें कहा गया है कि 2040 तक 80% प्लास्टिक प्रदूषण में कमी लाने के लिए प्लास्टिक का रीयूज और रीसाइकिल को बढ़ाना होगा. इससे प्लास्टिक प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है. जो प्लास्टिक रीसाइकिल नहीं की जा सकती उसके उत्पादन पर ही प्रतिबंध लगाना होगा. इंटरनेशनल पॉल्यूटेंट इलिमिनेशन नेटवर्क के सलाहकार इन्गेर ऐंडरसन के मुताबिक लोगों के स्वास्थ्य को बचाने के लिए हमें प्लास्टिक के उत्पादन को कम करने के साथ ही उसमें प्रयोग होने वाले केमिकल को भी कंट्रोल करना होगा.
कैसे चुनौती बन रही प्लास्टिक
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा का दावा है कि इस रोडमैप को अपनाए जाने के बावजूद विश्व में हर साल 10 करोड़ मीट्रिक टन प्लास्टिक के निस्तारण की जरूरत होगी. यूएन एक ऐसा रोडमैप भी तैयार कर रहा है जिससे उस प्लास्टिक का निस्तारण हो सके जिसकी रीसाइकलिंग संभव नहीं है. यूएनईपी का दावा है कि अगर रीसाइकिलंग को ही अपना ही लिया जाए प्लास्टिक प्रदूषण में तो कमी आएगी इससे एक हजार 270 अरब डॉलर के आसपास की रकम को भी बचाया जा सकता है.
भारत भी लेगा ट्रिटी में हिस्सा
2019 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा की उरुग्वे में आयोजित पहली बैठक में भारत ने भी हिस्सा लिया था. हालांकि पहली बैठक में ही भारत चीन और सऊदी अरब जैसे देशों की तरह ही इस मामले में बहुमत की बजाय आम सहमति पर जोर दे रहा है. इसीलिए पेरिस में होने जा रही ग्लोबल प्लास्टिक ट्रिटी के लिए भारत ने कोई सुझाव, निष्कर्ष या योजना प्रस्तुत नहीं की है, न ही अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा है, बल्कि ऑनलाइन ही इसका हिस्सा बनने का विकल्प चुना है.
प्लास्टिक में 3 हजार खतरनाक रसायन
यूएनईपी की एक वैश्विक रिपोर्ट में प्लास्टिक उत्पादन में प्रयोग हो रहे 13 हजार में से तकरीबन 3 हजार से अधिक केमिकल को लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना गया है. पिछले साल नवंबर में उरुग्वे में हुए पहले दौर की वार्ता में वैश्विक प्लास्टिक ट्रिटी को लागू करने के लिए एक साल की समय सीमा तय की गई थी
-एजेंसी
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