रूस के अंतरिक्ष मिशन को बड़ा झटका: चांद पर क्रैश हुआ लूना-25, सोमवार को होनी थी लैंडिंग

Exclusive

एजेंसी ने बताया लूना ने एक असामान्‍य स्थिति का अनुभव किया। इस खबर के साथ ही वो तमाम लोग जो भारत के चंद्रयान-3 और रूस के लूना-25 के बारे में पल-पल की जानकारी जुटा रहे थे, उनके मन में भी बस यही सवाल आ रहा था। वो जानना चाहते थे कि क्‍या रूस का मिशन, भारत के चंद्रयान 3 के साथ चंद्रमा के लिए लगी रेस हार जाएगा?

सोमवार को होनी थी लैंडिंग

लूना-25 सोमवार 21 अगस्‍त को यानी 24 घंटे के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला था जबकि भारत का चंद्रयान-3, 23 अगस्‍त को चंद्रमा पर उतरेगा। लूना ने भारत के चंद्रयान-3 की तुलना में करीब एक महीने बाद उड़ान भरी थी लेकिन यह सिर्फ दो हफ्तों में ही लैंडिंग को तैयार था।

बताया जा रहा है कि लूना-25 ने चंद्रमा तक जाने के लिए छोटा रास्‍ता चुना, जिसके बारे में किसी को भी नहीं मालूम। हालांकि लूना-25 में आई तकनीक गड़बड़ी को ठीक कर लेने का दावा किया गया है और कहा गया है कि लूना-25 अब ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन एजेंसी की तरफ से इसकी पुष्‍टि नहीं की गई है।

क्‍या थी लूना-25 में समस्‍या

रोस्कोस्मोस ने बताया कि अंतरिक्ष यान में लैंडिंग से पहले की कक्षा में प्रवेश करने की कोशिश करते वक्त तकनीकी खराबी आ गई और वैज्ञानिक स्थिति का आकलन कर रहे हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में कहा कि अभियान के दौरान स्वचालित स्टेशन में एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हो गई जिससे तय मानकों के साथ निर्धारित प्रक्रिया को अंजाम नहीं दिया जा सका।’ माना जा रहा है कि समस्‍या कम्‍युनिकेशन में आई थी और लूना का कम्‍युनिकेशन कुछ समय के लिए ऑनबोर्ड ऑटोमैटिक स्‍टेशन के साथ मुश्किल हो गया था।

लूना ने भेजे कुछ नतीजे

रूसी अंतरिक्ष यान ने शनिवार को अपने पहले नतीजे भी जारी किए। रोस्कोस्मोस ने कहा कि वह सूचना का विश्लेषण कर रहा है लेकिन एजेंसी ने बताया कि प्रारंभिक आंकड़ों से चंद्रमा की मिट्टी में रासायनिक तत्व मिलने की जानकारी मिली है। लूना-25 के साथ रूस महत्वपूर्ण वापसी कर रहा है। सन् 1976 में सोवियत युग के लूना-24 मिशन के बाद लगभग पांच दशकों में पहली बार, 11 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष में भेजा गया। इसके संभावित रूप से लगभग 21-23 अगस्त तक लैंडिंग करने की उम्मीद है और तकरीबन इसी वक्त भारत के अंतरिक्ष यान के भी चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। अभी तक केवल पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में कामयाबी हासिल की है। भारत और रूस का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले उतरने का लक्ष्य है।

क्‍यों सबको जाना है चांद पर

पूरी दुनिया की नजरें चंद्रमा पर दो मित्र देशों की रेस पर टिकी हुई हैं। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि लूना-25 में तकनीकी खराबी, भारत के चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए भी ठीक नहीं है। अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है। सोमवार को भारत के चंद्रयान-3 से पहले पृथ्वी के उपग्रह पर उतरने की होड़ मची हुई है। चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव हमेशा से ही वैज्ञानिकों के बीच उत्सुकता जगाता रहा है। स्थायी रूप से छाया में रहने वाला यह हिस्‍सा पानी का घर हो सकते हैं। चट्टानों में जमे पानी का उपयोग भविष्य के खोजकर्ताओं द्वारा उन्हें हवा और रॉकेट ईंधन में बदलने के लिए किया जा सकता है।

Compiled: up18 News


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.