बड़ी उपलब्‍धि: दुनियाभर की पसंद बनकर उभरी भारत की ब्रह्मोस मिसाइल, ऑर्डर पहुंचा 7 अरब डॉलर के पार

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विशेषज्ञों के मुताबिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों में पहली पसंद बनती जा रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मैक 3 की सुपरसोनिक स्‍पीड होने की वजह से भारतीय मिसाइल को डिटेक्‍ट नहीं किया जा सकता है। इससे दुश्‍मन को ब्रह्मोस मिसाइल के खिलाफ जवाबी एक्‍शन के लिए बहुत कम समय मिलता है।

इससे पहले सऊदी अरब में चल रहे वर्ल्‍ड डिफेंस शो में ब्रह्मोस के निर्यात निदेशक प्रवीण पाठक ने मंगलवार को खुलासा किया था कि इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का कुल ऑर्डर अब 7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसमें भारत और निर्यात के ऑर्डर दोनों ही शामिल हैं।

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के सहयोग से इस मिसाइल को बनाने के बाद अब ब्रह्मोस के अंदर काफी बदलाव कर दिया गया है। इसके लिए काफी पैसे का निवेश किया गया है। यही नहीं, भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के सबमरीन, फाइटर जेट, युद्धपोत और जमीन से हमला करने में सक्षम वेरिएंट का निर्माण कर लिया है।

भारतीय सेना के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइल

इस तरह से भारत और रूस के बीच ब्रह्मोस मिसाइल सफलता की शानदार कहानी बन गई है। यही नहीं भारत ने हाल ही में 900 किमी तक मार करने में सक्षम ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया है। शुरुआती ब्रह्मोस की मारक क्षमता पहले 295 किमी तक ही थी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस मिसाइल के टेस्‍ट भी करीब 100 फीसदी सफल रहे हैं। आज भारत के पास 12 हजार से ज्‍यादा ब्रह्मोस मिसाइल विभिन्‍न तरीके से भारतीय सेना के अंदर शामिल की जा चुकी है। यही नहीं भारत फिलीपीन्‍स समेत अब दुनियाभर के देशों को ब्रह्मोस को निर्यात करने जा रहा है।

इससे भारत अब सैन्‍य हथियारों का विश्‍सनीय आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। डीआरडीओ के रिटायर वैज्ञानिक रवि गुप्‍ता रूसी न्‍यूज़ वेबसाइट स्‍पुतनिक से बातचीत में कहते हैं कि सटीकता, कलाबाजी, असाधारण स्‍पीड के लिहाज से दुनिया में एकमात्र असली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। दुनिया में इसके टक्‍कर की कोई मिसाइल नहीं है। उन्‍होंने कहा कि यही वजह है कि ब्रह्मोस को बड़े पैमाने पर दुनियाभर के देश खरीदना चाहते हैं। इसके अलावा भारत में ब्रह्मोस का निर्माण भी अन्‍य देशों की तुलना में बहुत सस्‍ता है।

-एजेंसी