उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में विश्व भर को दहलाने वाली कोरोना महामारी पर बड़ा रिसर्च हुआ है। इस रिसर्च का परिणाम चौंकाने वाला है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कोविड-19 पर हुए रिसर्च में भारतीयों के इस रोग से मुकाबले में अधिक सक्षम होने की बात सामने आई है। रिसर्च का नेतृत्व बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने किया। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत और दक्षिण एशियाई देशों के लोग कोविड-19 से मुकाबले में दुनिया के बाकी देशों से अधिक मजबूत हैं।
दुनिया की विभिन्न आबादियों की अनुवांशिक विविधता के आधार पर कोविड-19 के प्रति उनकी संवेदनशीलता की स्टडी में यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की यह स्टडी महामारी विज्ञान और आनुवंशिक कारकों में नई दिशा प्रदान करता है। बीएचयू की स्टडी में देश के विभिन्न राज्यों के 450 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग एनालिसिस की गई। रिसर्च टीम ने दुनिया भर के 393 लोगों का नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) डाटा भी इस स्टडी में शामिल किया। टीम फ्यूरीन जीन के म्यूटेशन और कोविड-19 सीवियरिटी के बीच एक उल्लेखनीय सकारात्मक संबंध की पहचान की। प्रोफेसर चौबे ने बताया कि फ्यूरीन जीन शरीर को गंभीर रूप से बीमार होने से बचाता है। खासकर फेफड़ों से संबंधित संक्रमण के दौरान यह काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फ्यूरीन जीन म्यूटेशन में पाया गया अंतर
स्टडी के क्रम में अमेरिका, यूरोप से लेकर दक्षिण एशियाई लोगों में फ्यूरीन जीन म्यूटेशन में अंतर पाया गया। इसका अर्थ यह हुआ कि इसी की वजह से कोविड संक्रमण के दौरान अमेरिका एवं यूरोप में मृत्यु दर सबसे ज्यादा और चीन में सबसे कम रही है। भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों की आबादी चीन के बाद कोविड से लड़ाई में जीन के स्तर पर सबसे मजबूत है।
रिसर्चर ने कहा, महामारी से लड़ाई में मिलेगी मदद
स्टडी के चीफ रिसर्चर रुद्र कुमार पांडे ने कहा कि यह शोध कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। गंभीर रूप से बीमार होने के अनुवांशिक लक्षण वाली आबादी के लिए यह स्टडी रणनीति तैयार करने में सहायक होगा। प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि यह स्टडी न केवल कोविड-19 संवेदनशीलता को समझने में अनुवांशिक कारकों के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि अनुवांशिक बायोमार्कर के रूप में इन म्यूटेशन का उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रो. चौबे ने कहा कि यह शोध महामारी के दौरान नीतियों को विकसित करने, संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से आवंटित करने और अंत में अमूल्य मानव जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
शरीर में तीन जीन की महत्वपूर्ण भूमिका
बीएचयू के मौजूदा शोध के साथ ही कोविड-19 से जुड़े पिछले स्टडी के आधार पर प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि तीन प्रकार के जीन की कोविड-19 और इस प्रकार के अन्य संक्रमणों से जीवन रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें से एसई-2 किसी वायरस के शरीर में प्रवेश को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
दूसरा टीएमपीआरएसएस-2 फेफड़ों में होने वाले इन्फेक्शन को रोकता है। मौजूदा स्टडी का विषय रहा फ्यूरीन जीन किसी भी व्यक्ति को संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार होने से बचाता है।
-एजेंसी