साल 2002 में एक केस सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा था और ये केस था नीतीश कटारा मर्डर केस। नीतीश कटारा के हत्या के आरोप लगे तत्कालीन मंत्री और बाहुबली नेता डी पी यादव के बेटे विकास यादव और भतीजे विशाल यादव पर। डीपी यादव की बेटी भारती यादव के नीतीश कटारा के साथ रिलेशन थे और ये बात भारती के भाई विकास यादव को पसंद नहीं आई। जिसके बाद विकास यादव और विशाल यादव ने बेरहमी से नीतीश का कत्ल कर दिया, उनकी लाश को जला दिया गया।
अजय कटारा केस में डीपी यादव बरी
नीतीश यादव मर्डर केस में नीतीश का भाई अजय कटारा अहम गवाह था। साल 2007 की बात है। अजय कटारा का अपनी पत्नी तनु चौधरी के साथ कुछ झगड़ा चल रहा था। पत्नी ने केस किया था और वो अपने मायके चली गई थी। 11 जुलाई 2007 को रात में उनके घर पर दो पुलिस वाले अजय शर्मा और मनोज शर्मा आए। इन दोनों पुलिसवालों ने अजय कटारा को अपने साथ चलने के लिए कहा। इनका कहना था कि तनु चौधरी से उनकी सुलह कराना चाहते थे। ये अजय कटारा को लेकर एक मंदिर में पहुंचे।
अजय कटारा को जहर देने का था मामला
जब ये लोग मंदिर पहुंचे तो वहां पर अजय कटारा की पत्नी नहीं थी। पुलिसवालों ने बताया कि वो थोड़ी देर में पहुंचने वाली हैं। इतनी देर यहां पर इन लोगों ने अजय कटारा को खाने के लिए एक टिक्की दी। अजय कटारा के मुताबिक इस टिक्की का टेस्ट काफी खराब था और उसमें जहर मिलाया गया था। अजय ने थोड़ा सा टिक्की खाई और फिर फेंक दी। इसके बाद अजय कटारा को कोल्ड ड्रिंक भी पीने के लिए दी गई। अजय कटारा का कहना था कि दोनों ही चीजों में जहर मिलाया गया था।
टिक्की और कोल्ड ड्रिंक में जहर मिलाने के थे आरोप
टिक्की और कोल्ड ड्रिंक को थोड़ा सा खाने के बाद ही अजय कटारा की तबीयत बिगड़ने लगी। उन्होंने अपने दोस्तों को फोन किया और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। काफी दिनों तक अस्पताल में उनका इलाज चला। अजय कटारा ने ये डीपी यादव पर ये जहर देने के आरोप लगाए। अजय कटारा के मुताबिक टिक्की में जगह डीपी यादव के कहने पर दिया गया था। हालांकि इस मामले में डॉक्टरों ने खाने की रिपोर्ट में जहर की बात से इंकार किया। इस मामले को सिर्फ फूड प्वाइजनिंग का मामला बताया गया, लेकिन अजय कटारा के मुताबिक डीपी यादव ने ही डॉक्टर को कहकर रिपोर्ट बदलवा दी थी।
नीतीश कटारा केस में अहम गवाह थे अजय कटारा
अजय कटारा का कहना था कि वो नीतीश मर्डर केस के अहम गवाह हैं और इसलिए उन्हें मरवाने की कोशिश की गई। सालों तक ये मामला चलता रहा। डी पी यादव के अलावा इस मामले में 7 और लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था, लेकिन सबूतों के अभाव में धीरे-धीरे सभी लोग बरी होते चले गए और अब डीपी यादव को भी इस मामले में बरी कर दिया गया है। कोर्ट का कहना है कि डीपी यादव के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
Compiled: up18 News
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