आगरा कैंट स्टेशन प्रीपेड बूथ के ऑटो चालकों ने रेलवे अधिकारियों के खिलाफ खोला मोर्चा, रोजी-रोटी छीनने का आरोप

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आगरा: आगरा कैंट स्टेशन के प्रीपेड बूथ के ऑटो चालकों ने रेलवे अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ऑटो चालकों ने 2 दिन से पार्किंग से अपने ऑटो बाहर नहीं निकाले हैं और न ही किसी सवारी को उसके गंतव्य तक ले गए हैं। ऑटो चालक इस समय पार्किंग पर ही धरना दे रहे हैं। उनका आरोप है कि रेलवे जबरदस्ती ऑटो पार्किंग को खाली करा रहा है। जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

1994 से है ऑटो पार्किंग

ऑटो चालकों का कहना है कि 1994 में तत्कालीन मंडलायुक्त ने हम लोगों के लिए यह स्टैंड को निर्धारित कराने में अहम भूमिका निभाई थी। अगर यह ऑटो स्टैंड हम लोगों के हाथ से चला गया तो हम लोगों की रोजी-रोटी पर एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा जिसकी जिम्मेदारी रेलवे अधिकारियों की होगी। ऑटो चालकों ने दो टूक शब्दों में कहा कि रेलवे अधिकारियों को अपनी कार्यप्रणाली बदलनी होगी। उनके इस कार्य से सैकड़ों परिवार सड़कों पर आ जाएंगे।

प्रदर्शन रहेगा जारी

ऑटो चालकों का कहना है कि 1994 से यहां पर स्टैंड है। बावजूद इसके रेल अधिकारियों द्वारा उनको विस्थापित कर रहे हैं जिसके चलते उनकी रोजी-रोटी पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ऑटो चालक अपनी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा होते देख प्रदर्शन पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि हर ऑटो चालक इस प्रदर्शन में शामिल है। वह अपना ऑटो स्टैंड से बाहर नहीं निकालेगा। इस लड़ाई को जितना लंबा चलाना पड़े वह चलाएंगे क्योंकि सवाल उनकी रोजी रोटी और परिवार के भरण-पोषण का है।

रेलवे अधिकारियों ने दिया यह तर्क

वहीं इस मामले में जनसंपर्क अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव का कहना है कि ऑटो चालकों को विस्थापित करने की कोई योजना नहीं है। ऑटो स्टैंड दाएं हाथ पर था लेकिन कोविड-19 के चलते अलग से प्रक्रिया अपनाई गई थी। अब उन्हें पुनः दाएं हाथ पर बने ऑटो स्टैंड पर भेजा जा रहा है।

इस मामले में ऑटो चालकों ने बताया कि यह सारी प्रक्रिया ओला टैक्सी वालों के लिए की जा रही है। अब देखना होगा कि आगरा रेल डिवीजन के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में किस तरह की प्रक्रिया को अपनाते हैं। क्या ऑटो चालकों के रोजगार पर संकट होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा। फिलहाल ऑटो चालक संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं।