ग्लोबल साउथ समिट में पीएम मोदी बोले: एक वैश्विक आवाज़ के तौर पर हमें भविष्य में बड़ी भूमिका निभानी है

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पीएम मोदी ने नए साल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ”हमने चुनौती भरे एक और साल में प्रवेश किया है जिसमें युद्ध, टकराव, आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियां सामने हैं. खाद्य पदार्थों और कीटनाशकों की बढ़ती कीमतें और कोविड महामारी का आर्थिक प्रभाव के चलते दुनिया संकट से गुज़र रही है.”
”एक वैश्विक आवाज़ के तौर पर हमें भविष्य में बड़ी भूमिका निभानी है. हमारे देशों में तीन चौथाई मानवता बसती है. दुनिया की बेहतरी के लिए हमारी भी समान आवाज़ होनी चाहिए.”

उन्होंने कहा, ”दुनिया के सामने मौजूद कई वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ के कारण पैदा नहीं हुईं हैं लेकिन उनका असर यहां भी है. हम साथ मिलकर असमानता कम कर सकते हैं, मौके बढ़ा सकते हैं, विकास में सहायता करके प्रगतिशील और संपन्न हो सकते हैं.”

पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दशक में हमने विदेशी शासन के ख़िलाफ़ मिलकर लड़ाई लड़ी है. हम लोगों के कल्याण के लिए नई वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए इस दशक में भी ऐसा कर सकते हैं. जहां तक भारत की बात है तो आपकी आवाज़, भारत की आवाज़ है. आपकी प्राथमिकताएं, भारत की प्राथमिकताएं हैं.

उन्होंने बताया, ”अलगे दो दिनों में आठ प्राथिमक क्षेत्रों को लेकर चर्चाएं होंगी. मुझे पूरा भरोसा है कि ग्लोबल साउथ मिलकर नए और क्रिएटिव आइडिया पर काम कर सकता है.”

भारत में दो दिवसीय ”वॉइस ऑफ़ ग्लोबल साउथ समिट” की आज से शुरुआत हो गई है. इसका आयोजन 12 से 13 जनवरी के बीच होगा.

इसकी थीम ”वॉइस ऑफ़ ग्लोबल साउथ: मानव-केंद्रित विकास” रखी गई है. इससे पहले इतने बड़े पैमाने पर ग्लोबल साउथ के देशों का सम्मेलन नहीं हुआ है.

इस सम्मेलन में आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी.

क्या है ग्लोबल साउथ?

आर्थिक और सामाजिक विकास के आधार पर दुनिया को बाँटने की संकल्पना में दुनिया को दो हिस्सों में बाँटा गया है. एक है ग्लोबल नॉर्थ और दूसरा है ग्लोबल साउथ.

ग्लोबल नॉर्थ में दुनिया के अधिक विकसित, समृद्ध और ओद्योगिक विकास वाले देश हैं, जैसे अमेरिका, यूरोपीय देश, जापान, दक्षिण कोरिया आदि.

वहीं ग्लोबल साउथ में आर्थिक और सामाजिक विकास के आधार पर कम विकसित देश हैं. इनमें लातिन अमेरिका, अफ़्रीका, एशिया और ओसिनिया के देश हैं.
भौगोलिक आधार पर भी ये देश दुनिया के दक्षिणी हिस्से में आते हैं.

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ दो दिन तक चलने वाले इस वर्चुअल सम्मेलन में 10 सत्र होंगे, जिनमें अलग-अलग देशों के मंत्री और राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे.

इस सम्मेलन का मक़सद ग्लोबल साउथ में आने वाले देशों को अलग-अलग वैश्विक मुद्दों पर अपना पक्ष रखने के लिए प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराना है.

विदेश मंत्रालय का कहना है कि ये प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ पर आधारित है.

इस सम्मेलन में आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी.

Compiled: up18 News