आगरा: यहां सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे में 119 एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए बने 14 कुओं को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित करने की पहल शुरू की है। इनमें से पांच की स्थिति जर्जर है, इसलिए पहले चरण में इन्हें संरक्षित किया जायेगा। ये कुएं लाल पत्थर और ककैया ईंटों से बने 10 से 22 फुट व्यास के हैं। इनकी मरम्मत पर 22 लाख रुपये खर्च होंगे।
अपनी हरियाली और बागों के लिए प्रसिद्ध अकबर के मकबरे, सिकंदरा स्मारक में 70 से ज्यादा हिरन हैं, कभी यहां बहुतायत में लंगूर भी हुआ करते थे, जो अब यदा कदा ही दिखते हैं। हिरन उत्तरी दरवाजे के घने जंगल में बसेरा बनाए हैं। पूरे स्मारक में 119 एकड़ के पार्क को हरा-भरा रखने के लिए 14 कुओं का निर्माण कराया गया था, जिनके जरिए बगीचों की सिंचाई होती थी। चार सौ सालों के दौरान कुओं को नुकसान पहुंचा और दक्षिण और पूर्व के बगीचों में बने कुएं क्षतिग्रस्त हो गए। इनमें से किसी कुएं में पानी नहीं है, जबकि कई ऊपरी हिस्सों के गिर जाने से मलबे से भरे हैं।
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि पहले चरण में पांच कुओं को संरक्षित किया जाएगा। ये कुएं सिकंदरा स्मारक के पार्क की सिंचाई और पेयजल व्यवस्था के लिए बनाए गए थे। ये महत्वपूर्ण हैं। इनके जरिए पूरी सिंचाई प्रणाली की जानकारी मिलती है। मकबरे के उद्यान चार बाग शैली में बने हैं।