रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने प्रतिक्रिया दी है. अपर्णा यादव ने कहा कि “शबरी के झूठे बेर खाकर राम ने जाति के बंधनों को तोड़ा और सतयुग में एक परम उदाहरण दिया. राम भारत का चरित्र है. राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं हैं. आज भी भारत में कहा जाता है कि बेटा हो तो राम जैसा हो. रामचरित मानस पर बयान देकर अपनी राजनीति गर्म करने वाले दरअसल अपने खुद के चरित्र को दिखा रहे हैं.”
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस बकवास है, इसके कुछ हिस्सों को बैन कर देना चाहिए.
उनका कहना है कि इससे पिछड़े, दलित वर्गों की भावनाएं आहत हो रही हैं.
एक टेलीविज़न चैलन को दिए इंटरव्यू में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “सभी धर्मों का हम सम्मान करते हैं. लेकिन अगर धर्म के नाम पर किसी वर्ग को अपमानित करने के लिए कुछ कहा जाता है तो वो आपत्तिजनक है.”
बिहार से शुरु हुआ विवाद
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हाल ही में रामचरित मानस को लेकर कहा था कि इससे समाज में नफ़रत फैल रही है.
चंद्रशेखर ने कहा था, ”मनुस्मृति को जलाने का काम क्यों किया गया? मनुस्मृति में एक बड़े तबके के ख़िलाफ़ यानी 85 प्रतिशत लोगों के ख़िलाफ़ गालियां दी गई हैं.
रामचरितमानस का क्यों प्रतिरोध हुआ? किस अंश का प्रतिरोध हुआ? अधम जाति मैं बिद्या पाए, भयउँ जथा अहि दूध पिआए. यानी नीच जाति के लोगों को शिक्षा हासिल करने का अधिकार नहीं था.”
चंद्रशेखर ने कहा था, ”इसमें कहा गया है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करके ज़हरीले हो जाते हैं, जैसे कि साँप दूध पीने के बाद होता है. इसी को कोट करके बाबा साहेब आंबेडकर ने बताया था कि ये ग्रंथ नफ़रत को बोने वाले हैं. एक युग मेंमनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानसऔर तीसरे युग में गुरु गोलवलर कीबंच ऑफ थॉट. ये हमारे देश और समाज को नफ़रत में बाँटती हैं.”
Compiled: up18 News
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