अमेरिकी तटरक्षक बल के जहाज को उस समय पापुआ न्यू गिनी की तरफ रवाना करना पड़ गया जब सोलोमन द्वीप की सरकार ने अमेरिका की कॉल को नजरअंदाज कर दिया। यह कॉल जहाज को द्वीप में अंदर आने की मंजूरी का अनुरोध करने के लिए थी। जहाज के अधिकारियों ने रि-फ्यूलिंग और प्रोविजन के लिए रुकने का अनुरोध किया था जिसे सोलोमन द्वीप की सरकार ने अनसुना कर दिया।
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो सोलोमन सरकार ने इस पर कुछ नहीं कहा। इस साल मई में जब से चीन ने इस द्वीप की सरकार के साथ हाथ मिलाया है तब से ही अमेरिका के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने इस पूरी घटना की जानकारी दी और इस स्थिति को चिंताजनक करार दिया है।
दूसरी तरफ रवाना हुआ जहाज
USCGC का जहाज ओलिवर हेनरी दक्षिणी प्रशांत सागर में गैर-कानूनी मछलीपालन पर गश्त के लिए रवाना हुआ था। यह जहाज क्षेत्रीय एजेंसी के लिए गश्त कर रहा था। जहाज को सोलोमन की राजधानी होनीआरा में रि-फ्यूलिंग के लिए रुकना था और इसे मंजूरी नहीं मिली। तटरक्षक बल के प्रेस ऑफिसर की तरफ से एक ई-मेल मीडिया को भेजकर इस पूरी स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस जहाज को अंत में पापुआ न्यूगिनी की तरफ भेजना पड़ा।
हवाई में कोस्ट गार्ड के पीआरओ क्रिस्टीन कैम ने कहा कि ओलिवर हेनरी एक रूटीन कॉल पर रवाना हुआ था लेकिन सोलोमन द्वीप की सरकार ने अमेरिकी सरकार के उस अनुरोध को नहीं माना जो जहाज की रि-फ्यूलिंग से जुड़ा था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से सोलोमन द्वीप सरकार से संपर्क साधा गया है। सरकार की मंशा है कि आने वाले दिनों में कुछ और जहाजों को इस तरह की समस्या से न जूझना पड़े।
रॉयल नेवी के साथ भी ऐसा
कुछ दिनों पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी के गश्ती जहाज HMS स्पे जो फिजी, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप और वानुअतु में गैरकानूनी मछली पालन की जांच के लिए रवाना हुआ था, उसे भी द्वीप पर रुकने की मंजूरी नहीं दी गई थी। सोशल मीडिया में जब इस घटना की जानकारी सामने आई और ब्रिटिश नेवी से इस पूरे मामले की जानकारी मांगी गई तो उसने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था। रॉयल नेवी के जहाज पर फिजी की नौसेना के ऑफिसर्स भी थे। साथ ही ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिकी तटरक्षक बल के अधिकारी भी इसी जहाज पर सवार थे।
रॉयल नेवी ने भी इस पूरे मामले पर कुछ नहीं कहा है। रॉयल नेवी के प्रवक्ता की तरफ से ई-मेल कर बयान जारी किया गया। उन्होंने कहा था कि जहाज की तरफ से होने वाने हर कार्यक्रम पर लगातार नजर रखी जाती है। उनका ऐसे बदल जाना एक नियमित घटना है।
सोलोमन द्वीप की सरकार और चीन ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया है कि चीनी मिलिट्री का कोई बेस है। हालांकि कुछ लीक्ड डॉक्यूमेंट्स में कई बार यह बात सामने आई है कि चीन की नौसेना को यहां पर डॉकिंग की मंजूरी दी गई है।
-एजेंसी
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