अमेरिका ने कहा, रूसी हथियारों में निवेश करना भारत के हित में नहीं

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अमेरिका ने भारत को रूस से हथियार ख़रीदने के मामले में एक बार फिर आगाह किया है. रूस से भारत सबसे अधिक संख्या में हथियारों की ख़रीद करता है जिसे अमेरिका ने कभी भी पसंद नहीं किया है.

अब अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने आगाह किया है कि रूस के हथियारों में निवेश करना भारत के हित के लिए ठीक नहीं है.

अमेरिकी सांसदों के साथ एक बैठक में ऑस्टिन ने अमेरिका की इच्छा को फिर ज़ाहिर कर दिया है. वॉशिंगटन चाहता है कि नई दिल्ली की रूसी सैन्य सामानों पर निर्भरता कम होनी चाहिए.

दूसरी ओर यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका भारत पर रूस के ख़िलाफ़ अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए लगातार दबाव बनाए हुए है.

बीते महीने ‘क्वाड’ की बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ज़ोर देते हुए कहा था कि रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर ‘कोई बहाना या टालमटोल नहीं चलेगा.’

बाइडन का इशारा भारत की तरफ़ ही था क्योंकि ‘क्वाड’ में शामिल दूसरे देश जैसे जापान और ऑस्ट्रेलिया खुलकर रूस की आलोचना कर रहे हैं और वो इस मामले में अमेरिका के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं.

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने क्या कहा

सालाना रक्षा बजट के दौरान हाउस आर्म्ड सर्विसेज़ कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक के दौरान ऑस्टिन ने कहा, “हम उनके (भारत) साथ काम करते रहेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वो इस बात को समझें कि रूसी सामान में निवेश जारी रखना उनके हित में नहीं है.”

ऑस्टिन ने कहा, “हमारी ज़रूरत ये हो रही है कि वे जिस तरह के सामान में निवेश कर रहे हैं उसे वो कम करें और ऐसी चीज़ों में निवेश जारी रखें जो हमसे मेल खाने के योग्य हो.”

अमेरिकी रक्षा मंत्री सांसद जो विल्सन के सवाल का जवाब दे रहे थे. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत ने जिस तरह से तटस्थता की नीति अपनाई है उसकी विल्सन ख़ासी आलोचना कर रहे हैं.

विल्सन ने कहा था, “ख़ौफ़नाक ढंग से हमारा क़ीमती सहयोगी भारत जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, अमेरिका और सहयोगी विकल्पों पर ग़ौर किए बिना रूसी हथियार प्रणाली को चुन रहा है जो कि क्रेमलिन के साथ जाने को दिखाता है.”

इसके साथ ही उन्होंने पूछा, “विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के ज़रिए हम उन्हें कौन से हथियार दे सकते हैं ताकि वो भारतीय नेताओं को प्रोत्साहित करे कि वो पुतिन और उनके सहयोगियों को ख़ारिज करें और लोकतंत्र के अपने प्राकृतिक सहयोगी के साथ आएं.”
ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका के पास दुनिया के सबसे उन्नत और बेहतरीन हथियार सिस्टम हैं.

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारे पास उन क्षमताओं की रेंज है जिसे हम उन्हें (भारत) मुहैया करा सकते हैं.”

भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता

अमेरिका के बाद रूस हथियार बेचने वाला दुनिया का दूसरे नंबर का देश है.

भारत रूसी हथियारों और डिफेन्स सिस्टम का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार है. भारतीय वायु सेना, नौसेना और थल सेना के लगभग 85 प्रतिशत हथियार रूसी हैं और भारत के कुल सुरक्षा के सामान के आयात का 60 प्रतिशत हिस्सा रूस से आता है.

भारतीय वायु सेना रूसी सुखोई एसयू-30 एमकेआई, मिग-29 और मिग-21 लड़ाकू विमानों पर निर्भर है, इसके अलावा आईएल-76 और एंटोनोव एएन-32 ट्रांसपोर्ट विमान, एमआई-35 और एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर हैं और हाल ही में ली गई एस-400 वायु रक्षा प्रणाली भी रूसी है.

भारत की सेना रूसी T72 और T90 युद्धक टैंकों का इस्तेमाल करती है, नौसेना का आईएनएस विक्रमादित्य विमानवाहक पोत पहले एडमिरल गोर्शकोव था.

भारत की नौसेना आईएल 38 समुद्री निगरानी विमान और कामोव के-31 हेलीकॉप्टर भी उड़ाती है, भारत के पास रूस से पट्टे पर ली हुई एक परमाणु पनडुब्बी है और वह भारत को अपनी परमाणु पनडुब्बी बनाने में भी मदद कर रहा है.

वर्ष 2018 में ही भारत ने रूस के साथ दूर तक मार करने की क्षमता रखने वाली ‘सर्फेस टू एयर मिसाइल’ की आपूर्ति के लिए 500 करोड़ अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

भारत ने इसके लिए पैसों की पहली खेप की अदायगी भी कर दी है. रूस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में चल रहे उसके सैन्य अभियान का कोई असर भारत को की जाने वाली मिसाइल आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा और वो तय समयसीमा में ही भारत को दे दी जाएगी.

-एजेंसियां


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