पिछले 50 वर्षों में अमेरिका ने हर क्षेत्र में बहुत ज्यादा तरक्की की है लेकिन गरीबी की समस्या में वास्तविक सुधार नहीं हुआ है। केंद्र सरकार की गरीबी रेखा के मुताबिक 1970 में 12.6 प्रतिशत आबादी गरीब थी।
1990 में 13.5 प्रतिशत, 2010 में 15.1% और 2019 में 10.5 फीसदी आबादी गरीब थी। 29 लाख रुपए सालाना से कम आय वाले परिवार गरीब माने गए हैं। अन्य अमेरिकियों के समान गरीबों की पहुंच रोजमर्रा की जरूरत के सामानों तक है। इस पर ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के सीनियर फैलो रॉन हस्किंस और इसाबेल सावहिल कहते हैं कि टीवी, माइक्रोवेव ओवन और मोबाइल फोन जैसे कंज्यूमर गुड्स तक लोगों की पहुंच बताती है कि गरीब उतने भी गरीब नहीं हैं। मोबाइल फोन जैसी वस्तुएं जरूर सस्ती हो गई हैं पर स्वास्थ्य सेवाओं और मकान किराए जैसी जीवन की ज्यादातर अनिवार्य जरूरतों की कीमतें बहुत अधिक बढ़ी हैं।
शहरों में बीस साल में मकान किराया दोगुना से ज्यादा बढ़ा है। औसत अमेरिकी शहर में 2000 से 2020 के बीच ईंधन और बिजली के मूल्यों में 115 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मकान किराया, स्वास्थ्य सुविधाओं सहित कुछ अन्य जरूरी सेवाओं के महंगे होने और कामगारों का वेतन उस अनुपात में नहीं बढ़ने से गरीबी के स्तर में गिरावट नहीं आ पा रही है। दूसरे देशों से आने वाले एक तिहाई से अधिक लोगों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है।
85 फीसदी ओवरटाइम का भुगतान नहीं होता। महंगाई के हिसाब से देखें तो 1979 के बाद हर साल कामगारों का वेतन केवल 0.3 प्रतिशत बढ़ा है। कर्मचारियों के बीच वेतन में भारी असमानता है। 2017 में हाई स्कूल पास कामगार 1979 की तुलना में 2.7 फीसदी कम कमा रहे थे।
सबसे कम वेतन
विश्व के औद्योगीकृत देशों में अमेरिका में सबसे कम वेतन मिलता है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार 23 फीसदी अमेरिकी कामगार कम वेतन वाली नौकरियों में हैं। ब्रिटेन में 17,जापान में 11 और इटली में पांच प्रतिशत कामगार इस दायरे में आते हैं। बेल्जियम, कनाडा सहित कई अन्य देशों में न्यूनतम वेतन में इतना ठहराव नहीं है जितना अमेरिका में है।
Compiled: up18 News