चार धाम के दर्शन मात्र से होते हैं भक्तों के सभी पाप नष्ट

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उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश- विदेश से चार धामों के दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों की संख्या इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि चार धाम यात्रा साल में 6 महीनों के लिए ही चलती है। इस यात्रा में जाने से पहले भक्तों को ये बात जरूर पता होनी चाहिए कि चार धाम यात्रा में सबसे पहले किस धाम की यात्रा की जानी चाहिए और यात्रा का सही क्रम क्या होता है। आज हम आपको इसी बारे में अपने लेख में विस्तार से जानकारी देंगे।

चार धाम यात्रा का सही क्रम

हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए चार धाम यात्रा का बड़ा महत्व है। उत्तराखंड में स्थित चार धाम हैं गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चार धाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है। ऐसा माना जाता है कि यमुनोत्री से यात्रा की शुरुआत करने पर बिना किसी बाधा के आपकी चारधाम यात्रा पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही शास्त्रों में वर्णित है कि, यात्रा की शुरुआत पश्चिम से की जाती है और पूर्व में समाप्त होती है इसलिए भी सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किये जाते हैं।

यात्रा का दूसरा पड़ाव

यमुनोत्री के दर्शन के बाद चार धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है गंगोत्री धाम। यमुनोत्री से गंगोत्री धाम की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है लेकिन वहां तक जाने के लिए आपको पैदल चलने की जरूरत नहीं होती आप सड़क मार्ग से आसानी से गंगोत्री धाम पहुंच सकते हैं। गंगोत्री धाम को लेकर मान्यता है कि यहां पहुंचकर श्रद्धालुओं के सभी पाप धुल जाते हैं।

यात्रा का तीसरा पड़ाव

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ, चार धाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव आज भी केदारनाथ धाम में निवास करते हैं। बाबा केदारनाथ के दर्शन करके मनोवांछित फलों की प्राप्ति श्रद्धालुओं को होती है।

चार धाम यात्रा का अंतिम पड़ाव

बद्रीनाथ धाम, चारधाम यात्रा का अंतिम पड़ाव है। अलकनंदा नदी के तट पर स्थिति भगवान विष्णु का ये धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बद्रीनाथ धाम के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी पाप नष्ट होते हैं और ईश्वर के आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता आती है।

अब आप जान गए होंगे कि चारधाम यात्रा के दौरान आपको किस धाम से यात्रा की शुरुआत करनी है और किस धाम में जाकर यात्रा समाप्त होगी। हालांकि यह यात्रा दुर्गम रास्तों से होकर गुजरती है इसलिए यात्रा से पहले अपने स्वास्थ्य को दुरुस्त आपको कर लेना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो भक्त श्रद्धापूर्वक चार धाम यात्रा करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाता है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है।

– एजेंसी


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