कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद कश्मीर पंडितों के घाटी से पलायन का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में हैं। फिल्म में कश्मीर पंडितों के नरसंहार और उस समय की स्थिति को दिखाया गया है। साथ ही फिल्म को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। फिल्म को लेकर केरल कांग्रेस ने कहा था कि घाटी में कश्मीरी पंडितों से अधिक मुसलमानों को जान गंवानी पड़ी।
इस पूर्व केंद्रीय मंत्री और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है लेकिन मैंने बहुत बार यह बात कही है कि लाशों की गिनती करना अपने आप में बड़ा अमानवीय काम है, एक भी मासूम यदि मरता है तो अपने आप में ये बड़ी त्रासदी है।
अपने ही देश में उनके दिलों में खौफ पैदा किया गया
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह गिनती करना कि किस वर्ग से कितने मरे, यह घृणित है और भर्त्सना करने के योग्य बात है। मैं इस विषय पर ना सिर्फ बोला हूं बल्कि लिखा भी है। उन्होंने कहा कि मैं लाशों की गिनती करने की बजाय यह देखूंगा कि घाटी से कितने लोग अपना घर छोड़कर बेघर होने पर मजबूर हुए। अपने ही देश में रिफ्यूजी बने। अपने ही देश में उनके दिलों में खौफ पैदा किया गया, यह सब कागजों में दर्ज है, इसे बताने की जरूरत नहीं है। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मेरा मानना है कि कश्मीर में जो संघर्ष था वह संप्रदायों के बीच नहीं था, कश्मीर तो सूफियों की सरजमीं है। घाटी में आतंकवाद 1980 से आया है।
इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देना ठीक नहीं
फिल्म के बारे में हो रही चर्चा को लेकर आरिफ मोहम्मद ने कहा कि मैंने फिल्म नहीं देखी है लेकिन जो कुछ मैं सुन रहा हूं, उससे मुझे लगता है कि जो लोग अपना घर छोड़कर भागे, उस पर आधारित फिल्म है। उन्होंने कहा कि यदि इसको भी सांप्रदायिक रंग दिया जाएगा तो इससे अधिक अफसोसनाक बात कुछ नहीं होगी। द कश्मीर फाइल्स को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप को लेकर सवाल पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कौन पार्टी किस पर उंगली उठा रही है, इस मामले में मुझे नहीं जाना है। जहां मानवता की बात आती है तो इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि घाटी में आतंकवाद कहां से फैल रहा है यह सब जानते हैं। सरहद पार से आतंकी ट्रेनिंग लेकर लोग आते हैं और घाटी में आतंक फैलाते हैं।
-एजेंसियां
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