समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सोमवार 22 अगस्त 2022 को लोकसभा में मिली हार के बाद पहली बार आजमगढ़ पहुंचे। अखिलेश यादव ने इटौरा जेल में बंद समाजवादी पार्टी के विधायक रमाकांत यादव से मुलाकात की। अखिलेश यादव की इस मुलाकात पर राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने आपत्ति जताई है।
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के प्रवक्ता तलहा रशादी ने कहा कि अखिलेश यादव जेल में बंद हत्या के आरोपी और तथाकथित जिले में शराब माफिया के संरक्षक एक विधायक से मुलाकात करने आए। उन्होंने तंज कसते हुए हुए कहा कि यह उनका (अखिलेश यादव) फैसला और विचारधारा हो सकता है।
तलहा रशादी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और आजमगढ़ का मुसलमान उनसे यह पूछना चाहता है कि जब उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान जेल में बंद थे तो वो ढाई साल में उनसे मिलने नहीं गए। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में उनके विधायक शरजिल इमाम जिनके घर पर बुलडोजर चला दिया गया था। उनसे भी अखिलेश यादव मिलने नहीं गए। अखिलेश यादव जब आजमगढ़ के सांसद थे तब आजमगढ़ के बिलरियागंज में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जेल में लोगों को डाला गया, तब भी अखिलेश यादव उनसे मिलने नहीं गए थे।
रशादी ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश का मुसलमान इन सभी घटनाक्रम को देख रहा है और इन सब बातों को याद रखेगा। उन्होंने कहा कि अभी उपचुनाव में देखा ही है सपा का क्या हाल हुआ। साथ ही आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी का मुसलमान इन सभी बातों को याद रखेगा।
वहीं रमाकांत यादव से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार विपक्षियों को परेशान करने का काम कर रही है। फर्जी मुकदमों में नेताओं को जेल भेजा जा रहा है।
अखिलेश यादव ने कहा कि आजमगढ़ हो अथवा रामपुर दोनों जगहों पर विपक्षी दलों के नेताओं को फर्जी मुकदमों में जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया। एक तो छूट कर वापस आ गए और दूसरे भी जल्द आ जाएंगे। अखिलेश यादव ने दावा किया कि 2024 के चुनाव में आजमगढ़ की जनता एक बार फिर सूद के साथ समाजवादियों को वोट करेंगी।
-एजेंसी
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