जोधपुर में भारत और फ्रांस एयरफोर्स का युद्धाभ्यास, लड़ाकू विमान उड़ाकर दिखाई एयर पावर

Exclusive

इस दौरान करीब एक घंटे तक आसमान में रीफ्यूलिंग की प्रैक्टिस की गई। खास बात ये भी रही कि इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने राफेल और फ्रांसीसी एयरफोर्स ‘फ्रेंच आर्मी डे एयर’ के चीफ जनरल स्टीफन ने सुखाई में उड़ान भरी।

जोधपुर में दूसरा मौका…

सोमवार को दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय में दोनों देशों के चीफ की मुलाकात हुई। दोनों ने युद्धाभ्यास, आपस में सहयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की। ये दूसरा मौका है जब जोधपुर एयरबेस पर गरुड़ युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के चीफ एक दूसरे के फाइटर उड़ा रहे हैं। इससे पहले साल 2014 में गरुड़ के 5वें संस्करण के दौरान भारतीय वायुसेना के तत्कालीन चीफ अरूप राहा और फ्रांसीसी चीफ डेनिस मेर्सियर ने उड़ान भरी थी।

दोनों चीफ को-पायलट के रूप में भरी उड़ान…

प्रदर्शन के दौरान मंगलवार दोपहर दोनों चीफ की एक साथ उड़ान भरी। दोनों ही चीफ को-पायलट के रूप में उड़ान भरी। दोनों ही चीफ की उड़ान काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं, जो करीब एक घंटे की रही। इसकी तैयारियों को सोमवार को दोनों देशों की एयरफोर्स ने अंतिम रूप दे दिया है।

छह युद्धाभ्यास हो चुके हैं…

दोनों देशों की एयरफोर्स के बीच गरुड़ सीरिज के पहले छह युद्धाभ्यास हो चुके हैं, उनमें से तीन भारत में और तीन फ्रांस में हुए हैं। वर्ष 2014 में जोधपुर में यह युद्धाभ्यास हो चुका है। इस युद्धाभ्यास के बाद ही भारत के राफेल खरीदने के सौदे ने तेजी पकड़ी थी और आज राफेल इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बन चुका है।

फ्रांस वायु सेना के 220 जवानों की टुकड़ी के साथ जोधपुर में युद्धाभ्यास कर रही है। 12 नवम्बर तक यह युद्धाभ्यास चलेगा। दोनों देशों की सेनाओं के बीच यह सातवां अभ्यास है। इससे पहले पहला, तीसरा और पांचवां अभ्यास साल 2003, 2006 और 2014 में वायु सेना स्टेशन ग्वालियर, कलाईकुंडा और जोधपुर में आयोजित किया गया था।

दो साल पहले हुआ था डेजर्ट नाइट…

जोधपुर के आसमान में दो साल पहले से भारत और फ्रांस के फाइटर्स जेट राफेल के बीच रोमांचक मुकाबला हो चुका है। डेजर्ट नाइट नाम का यह युद्धाभ्यास जोधपुर एयरबेस पर हुआ था। थार के रेगिस्तान में युद्धाभ्यास होने के कारण इसका नाम डेजर्ट नाइट रखा गया। यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के बीच नियमित रूप से होने वाले युद्धाभ्यास गरुड़ से अलग था।

सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ महीने से राफेल उड़ा रहे भारतीय पायलट अपनी क्षमता दर्शाएंगे। वहीं कई बरस से राफेल उड़ान रहे फ्रांस एयरफोर्स के पायलटों से मुकाबला करने के साथ उन्हें इस विमान के बारे में काफी कुछ सीखने को मिलेगा। युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के पायलट्स अपने अनुभवों को एक-दूसरे से शेयर करेंगे। थार के रेगिस्तान का सिंह द्वार कहलाने वाले जोधपुर का मौसम अमूमन एकदम साफ रहता है। वहीं, यहां का तापमान दोनों देशों के पायलट्स और अन्य स्टाफ के लिए पूरी तरह से मुफिद है। जोधपुर से सीमा क्षेत्र तक बगैर किसी रुकावट के लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं। 8 साल पहले जोधपुर में राफेल उड़ाने वाले पायलट्स को यहां का मौसम बहुत रास आया था।

उन्होंने कहा भी था कि फ्रांस में हमें इस तरह मुक्त आकाश नहीं मिलता है। साथ ही जोधपुर एयरबेस काफी पुराना होने के साथ पश्चिमी सीमा का सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस माना जाता है। इन कारणों से इस युद्धाभ्यास के लिए जोधपुर को चुना गया।

तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने सबसे पहले जोधपुर में ही राफेल उड़ा इसका परीक्षण किया था। इसके बाद राफेल सौदा तेजी से आगे बढ़ा। इस सौदे की नींव सही मायने में जोधपुर के युद्धाभ्यास के दौरान राफेल की क्षमता को जांचने और परखने के बाद ही रखी गई थी।

बताते चलें कि जोधपुर में भारत और फ्रांस की एयरफोर्स का संयुक्त युद्धाभ्यास 26 अक्टूबर से शुरू हुआ। यह 12 नवंबर तक चलेगा। इस वॉर प्रैक्टिस के जरिए दोनों देशों की एयरफोर्स के पायलट्स एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। इस प्रैक्टिस में दोनों देशों के फाइटर प्लेन हवा से हवा में टारगेट को हिट करने और सबसे खास मिड एयर रीफ्यूलिंग, यानी हवा में ही एक प्लेन से दूसरे प्लेन में फ्यूल भरने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। खास बात यह है कि 400kmph प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा में ही राफेल समेत 5 फाइटर प्लेन और प्रचंड हेलिकॉप्टर में फ्यूल भरा जा रहा है।

-एजेंसी