आगरा: चाय का हर कोई शौकीन होता है। कोई कुल्लड़ में चाय पीता है तो कोई कागज के गिलास में। अगर चाय मिट्टी के कुल्लड़ में हो तो इसका स्वाद और आनंद दोनों ही अलग हो जाते हैं। कुल्लड़ वाली चाय में मिट्टी की बेहतरीन खुशबू तो आती है, लेकिन चाय पीने के बाद कुल्लड़ और कागज के गिलास फेंकने से आसपास गंदगी भी हो जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए आगरा शहर के कुछ युवाओं ने मिलकर एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया है जहाँ आप चाय पीने के बाद कुल्लड़ या फिर कहें गिलास को फेंकेगे नहीं बल्कि उसे खा जाएंगे।
चाय पीने के बाद गिलास खा जाओ
‘चाय पियो और कप या गिलास खा जाओ’, सुनकर अटपटा जरूर लग सकता है लेकिन यह सच है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए युवाओं ने चाय को लेकर स्टार्टअप शुरू किया है। युवाओं का चाय का यह स्टार्ट अप अब्बू लाला दरगाह की ओर मुड़ने वाले रोड से 10 कदम आगे है। युवाओं ने अपने चाय के कैफे को इको फ्रेंडले कैफे नाम दिया है। इस कैफे में चाय पीने के लिए आने वाले लोग चाय पीने के बाद आइसक्रीम के कॉन की तरह चाय का कप भी चट कर जाते हैं।
अभी तक आपने लोगों को कांच के गिलास, कप, कुल्हड़ या डिस्पोजेबल गिलास में चाय पीते हुए देखा होगा, लेकिन चाय के कप को बाद में खाते हुआ नहीं देखा होगा। लेकिन इको फ्रेंडली कैफ़े पर आप चाय पीने के बाद चाय के गिलास या फिर कप को ही खा जाएंगे। इस इको फ्रेंडली कैफे का स्टार्टर आशीष ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर शुरू किया है जिसका नाम “इको फ्रेंडली कैफे” रखा है।
अनोखा स्टार्टअप कॉन्सेप्ट
15 रुपये कीमत वाली स्पेशल चाय में वेफर से बना कप दिया जाता है। कोन वाली आइसक्रीम की तरह चाय पीने के बाद लोग कप को खा भी जाते हैं। चाय का स्टार्टअप शुरू करने वाले आशीष का कहना है कि इसे वेफर्स कप भी कहा जाता है। इससे कचरा नहीं होता। उनका नया कॉन्सेप्ट है लोगों को पसंद आ रहा है।
आशीष ने बताया कि वह एमएससी कर रहे हैं। उन्होंने अपने दोस्त के साथ इस स्टार्टअप शुरू किया है। चाय के लिए जो कप इस्तेमाल किए जा रहे हैं उन्हें तमिलनाडु से मंगाया गया है। यह विभिन्न वैरायटी के हैं जिसमें वेनिला, चॉकलेट जैसे फ्लेवर शामिल हैं। चाय पीने के बाद लोग इसे फेंकते नहीं है बल्कि उसे खा लेते हैं।
परिवार सहित लोग पहुंच रहे चाय पीने
चाय का स्टार्टअप शुरू करने वाले आशीष का कहना है कि लोग परिवार सहित चाय का आनंद लेने के लिए हमारे इको फ्रेंडली कैफे पर आ रहे हैं। चाय पीने आए आदित्य पांडेय ने कहा कि अमूमन लोग चाय पीने के बाद प्लास्टिक या थर्मोकोल का डिस्पोजल कप फेंक देते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला कचरा फैलता है। वेफर्स कप से ना तो कचरा फैलेगा और ना ही पर्यावरण को नुकसान होगा। लोग आएंगे, चाय पियेंगे और कप खा जाएंगे। यानी आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत इन युवाओं ने सच करके दिखा दी है।
-एजेंसी
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