आगरा की चुनावी चखल्लस ( पार्ट-1) : मेयर चुनाव लड़ रही बुआ बनी संगठन के लिए गले की हड्डी, नेता-कार्यकर्ता ही खोल रहे पोल

अन्तर्द्वन्द

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के प्रथम चरण की बेला के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। सभी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए दिन रात जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ एक राष्ट्रीय पार्टी की की मेयर प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के लिए एंटरटेनमेंट बन गई हैं जिसका कारण भी वह खुद ही हैं। राष्ट्रीय पार्टी से मेयर का चुनाव लड़ रही बुआ ने अपनी ही पार्टी की हालत खराब कर रखी है। इनके प्रचार को लेकर संगठन भी पूरी तरह से सरेंडर है। इस पार्टी के कार्यालय पर अगर आप बैठ जाएं तो सिर्फ एंटरटेनमेंट के अलावा आप को कुछ नही मिलेगा। वहीँ प्रत्याशी बुआ की पोल तो खुद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता खोल रहे हैं। आपसी बातचीत के दौरान सारी सच्चाई सामने आ रही है कि किस तरह से यह प्रत्याशी संगठन के लिए गले की हड्डी बन गयी है जो न निगलने की और न ही थूकने की…।

राष्ट्रीय पार्टी का कार्यालय इस समय चुनावी चर्चाओं का चर्चित केंद्र है। अक्सर चाय पर हर तरह की चर्चाएं हो जाती हैं और चाय से अतिथि सत्कार भी खूब हो जाता है लेकिन इस चाय ने ही इस राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की पोल खोल दी है। इस राष्ट्रीय पार्टी के कार्यालय पर चाय तक की कोई व्यवस्था नहीं है। कोई भी कार्यकर्ता व पदाधिकारी कार्यालय पहुँचता है तो कोई व्यवस्था न होने पर प्रत्याशी व संगठन को कोसते हुए ही नजर आ रहा है। कार्यकर्ता सामने कुछ नहीं कहते लेकिन उनके पीछे सिर्फ एक ही आवाज सुनाई देती है कि कार्यकाल पर जब चाय तक की व्यवस्था नही तो कैसे चुनाव लड़ेंगी बुआ। चुनाव में क्या खर्च कर रही है बुआ।

बैठ जाने की मिल जाती है धमकी

जैसे जैसे मतदान की तारीख निकट आ रही है, इस राष्ट्रीय पार्टी की प्रत्याशी बुआ की टेंशन बढ़ गयी है। इसको लेकर भी संगठन के कार्यकाल पर भी खूब चर्चाएं है। कार्यकर्ताओं का दबी जुबान में कहना है कि देखिए किस प्रत्याशी को चुना है जो अब दबंगई से चुनाव लड़ रही है। संगठन की ओर से कोई बात कही जाती है तो बुआ फ्रस्टेड भी हो जाती हैं और संगठन के शहर मुखिया को धमकी भी मिल जाती है कि चुनाव लड़ाना है तो लड़ाओ, नहीं तो मैं बैठ जाती हूं।

कोई ख़ुश नहीं बुआ से

राष्ट्रीय पार्टी की इस प्रत्याशी से संगठन का कोई भी पदाधिकारी व कार्यकर्ता खुश नहीं है सिवाय दो लोगों के। इस कारण सभी काम उन्ही दो लोगों को करने पड़ रहे हैं। उन दो लोगों के अलावा कोई और इस बुआ के साथ प्रचार के लिए जाना नहीं चाहता है लेकिन पार्टी के वफादार कार्यकर्ता मन मसोस कर प्रचार के लिए जा रहे हैं।

कौन से नंबर पर आ रही है बुआ

राष्ट्रीय पार्टी के कार्यालय पर इस बात की भी खूब गुफ़्तुगू हो रही है कि बुआ किस नंबर पर आ रही है। मजे लेकर कार्यकर्ता कह रहे हैं कि पहले स्थान पर तो पीछे से आवाज आ जाती है कि नीचे से पहले नंबर पर। इसके बाद कार्यकर्ताओं की हंसी भी नहीं रुकती।

कोस रहे संगठन को

शहर मुखिया और उसके करीबी के सामने कोई कुछ नहीं कहता हो लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता इस प्रत्याशी को लेकर संगठन को कोस रहे हैं। कह रहे हहैं कि इसके बजाए किसी संगठन के कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया होता तो संगठन की साख तो बच जाती लेकिन संगठन के लोगों ने स्वार्थ के चलते उसकी बलि चढ़ा दी। जब संगठन उनके साथ मजाक कर सकता है तो वे भी मजे में ही चुनावी कार्य कर रहे है।

वहीँ प्रत्याशी बुआ की टेंशन इस समय सिर्फ चुनावी खर्च को लेकर है। उन्होंने भी नहीं सोचा था कि संगठन से उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। अब दो दिन बाद जब मतदान होना है और ऐसे में हर वार्ड पर बस्ते भी लगने हैं। बस्तों का कार्य कार्यकर्ता संभालेंगे। उन वस्तुओं में आर्थिक मदद नहीं हुई तो कार्यकर्ता बस्ते भी नहीं लगाएंगे। ऐसे में बुआ की टेंशन बढ़ना लाजिमी है।