आगरा: पिछले 4 दिनों से ऑटो चालक के परिजन इंसाफ के लिए गुहार लगा रहे हैं। इस मामले में पुलिस की एक पक्षीय कार्रवाई और तानाशाही से आक्रोशित होकर मृतका की पत्नी एवं बच्चों ने पहले तो धरना दिया, फिर आत्मदाह की कोशिश की। घटना की जानकारी होते ही क्षेत्रीय पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस को देखकर मृतक के परिजनों में आक्रोश फैल गया और पुलिस से तड़का भड़की भी हुई। इस बीच मृतका की बेटी ने और अन्य परिजनों ने अपने ऊपर ज्वलन्त शील पदार्थ छिड़ककर सुसाइड करने का प्रयास किया तो पुलिस ने लाठी का प्रयोग करते हुए उन्हें आत्मदाह करने से रोका और उनकी जमकर पिटाई कर दी।
पुलिस कस्टडी में ऑटो चालक की मौत और फिर जबरदस्ती उसका अंतिम संस्कार कराए जाने से पुलिस प्रशासन पर ही कई सवाल खड़े हो गए हैं। जब मृतक के परिजनों को इंसाफ नहीं मिला और गुहार नहीं सुनी गई तो शनिवार को मृतक के परिजनों ने सामूहिक रुप से आत्मदाह करने का प्रयास किया।
पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। शनिवार को मृतक के परिजन इंसाफ के लिए धरना दे रहे थे और परिजनों ने सामूहिक आत्मदाह की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें धरना स्थल से हटाकर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस घटना में मृतक के परिजनों के गंभीर चोटें आई लेकिन पुलिस यहीं नहीं रूकी। पुलिस ने परिजनों के साथ हर दर्जे से अभद्रता की और बात न मानने पर लाठी-डंडों से जमकर पीटा।
बताया जाता है कि 4 दिन पहले पुलिस कस्टडी में ऑटो चालक की मौत हो गई थी। पुलिस कर्मियों पर आरोप था कि ऑटो चालक को बेरहमी के साथ पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में कोई उचित कार्यवाही नहीं की और न ही मृतक के परिजनों को आर्थिक रूप से कोई सहयोग दिया। मृतक के परिजन इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
2 फरवरी को हरीपर्वत क्षेत्र के मंडी सईद खां निवासी ऑटो चालक 36 वर्षीय भगवान दास की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि संजय पैलेस पुलिस चौकी पर तैनात सिपाहियों ने उसे जमकर पीटा और पुलिस की पिटाई से ही उसकी मौत हुई है। परिजनों की मांग है कि संजय पैलेस चौकी पर तैनात चारों दोषी सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई हो और उन्हें सस्पेंड किया जाए।
पुलिस द्वारा जिससे मृतक के परिजनों पर बर्बरता पूर्वक लाठी बरसाई गई उसे देखकर आम व्यक्ति और क्षेत्रीय लोग भी सहम गए। उनका कहना था कि ‘पीड़ित की तो हमेशा आस होती है कि उसे इंसाफ मिले लेकिन इंसाफ के बदले जब खाकी धारी डंडे बरसाने लगे तो फिर इंसाफ की किस से गुहार लगाई जा सकती है। पुलिस का यह चेहरा बेहद ही डरावना और भयानक है। इससे आम व्यक्ति का पुलिस से विश्वास उठने लगा है।’