आगरा: जीवित व्यक्ति को कागजों में ब्लाक कर्मचारियों ने किया मृत घोषित, पीड़ित ने मुख्यमंत्री को भेजा शिकायती पत्र

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वृद्धावस्था पेंशन के सत्यापित फॉर्म में वृद्ध को मृत घोषित कर पेंशन की बंद, लापरवाही आई सामने

आगरा जनपद के ब्लॉक पिनाहट क्षेत्र के अंतर्गत गांव नांद का पुरा निवासी एक वृद्ध को ब्लाक कर्मचारियों ने कागजों में मृत घोषित कर वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी। अपने को मृत घोषित होने पर पीड़ित वृद्ध ने मुख्यमंत्री सहित उच्च अधिकारियों को शिकायती पत्र भेज कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

आपको बता दें उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व की भाजपा सरकार में प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों को जनता जनार्दन की समस्या को लेकर निदान के लिए एवं लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए गए हैं। मगर पिनाहट ब्लॉक के कर्मचारियों की लापरवाही साफ देखने को मिली है।

जहां ब्लॉक क्षेत्र के ही गांव नांद का पुरा निवासी अजब सिंह पुत्र स्वर्गीय नाहर सिंह उम्र करीब 80 वर्ष ने बीते सप्ताह मुख्यमंत्री सहित जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी, मानवाधिकार आयोग, एसएसपी आगरा को शिकायती पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि वर्ष 2019 से समाज कल्याण विभाग द्वारा उसे वृद्धावस्था पेंशन दी जा रही थी जिसे बीते माह मई के दिनांक 9 को बंद कर दिया गया। और ब्लॉक कर्मचारियों ने सत्यापन के आधार पर जीवित वृद्ध अजब सिंह को कागजों में मृत घोषित कर दिया।

वृद्धावस्था पेंशन बंद होने के बाद वृद्ध ने समाज कल्याण विभाग आगरा कार्यालय पहुंच कर मामले की जानकारी की तो पता चला कि उसे सत्यापन फार्म कागजों में मृत घोषित किया गया है जिसके कारण पेंशन बंद हो गई है। अपने को मृत घोषित होने पर वृद्ध हैरान रह गया। जिस पर उन्होंने जिला पंचायत सदस्य द्वारा अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र विभाग में प्रस्तुत किया। और पूरे प्रकरण जालसाजी मानव अधिकारों का हनन होने पर पीड़ित वृद्ध ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री, एवं मानव अधिकार आयोग को शिकायती पत्र भेजकर जिलाधिकारी आगरा ,मुख्य विकास अधिकारी आगरा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय को शिकायती पत्र देकर पूरे मामले की जांच कर दोषी ब्लॉक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर एवं मुकदमा दर्ज कराने की मांग उठाई है।

पीड़ित का आरोप है कि जांच संज्ञान में आने पर ब्लॉक कर्मचारी लगातार उनके घर पर पहुंचकर अपनी गलती की माफी मांग रहे हैं। मगर पीड़ित का कहना है माफी दे दी जाए मगर अन्य वृद्ध लोगों के साथ भी अगर ऐसा हुआ तो कौन जिम्मेदार है। वहीं सरकार के कड़े निर्देश आदेश के बावजूद भी लापरवाह अधिकारी कर्मचारी अपने आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसी लापरवाही को लेकर कार्रवाई होना लाजमी है।