आगरा का स्लाटर हाउस मामला: पशु चिकत्सा अधिकारी पर 5 करोड़ गवन के आरोप

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आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा नगर निगम द्वारा संचालित पशु वधशाला को पिछले एक साल के भीतर तीन बार बंद कराया जा चुका है। व्यापारियों की समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है। स्लाटर हाउस को अचानक बंद कर दिया जाता है। व्यापारियों को स्लाटर बंद किए जाने की जानकारी नहीं दी जाती है। इससे पहले एलाना कंपनी को नगर निगम द्वारा संचालित पशु वधशाला का टैंडर दिया गया था। तब कमेलदारों से 425 रुपए प्रत्येक जानवर कटाई के लिए जाते थे। जिसकी रसीद व्यापारी को दी जाती थी। इस वर्ष अल सुभाना और उसकी सहयोगी कंपनी को टैंडर मिला। अल सुभाना ने पशु कटान का निर्धारित मूल्य एक साल के भीतर बड़ाकर 1100 रुपए कर दिया गया। जिसका व्यापारियों ने काफी विरोध किया था।

अब व्यापारियों का कहना है की उनसे 1100 रुपए प्रत्येक जानवर कटान का शुल्क लेने पर स्लाटर से रसीद नही मिल रही है। रसीद मांगने पर व्यापारियों को रसीद नही दी जाती है और उन्हें धमकाया जाता है। व्यापारियों का आरोप है की पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीत गया ठेकेदार कम्पनी ने नगर निगम को पैसा जमा नही किया है। सदन में पार्षदों ने इसका मुद्दा उठाया था। तब मेयर ने स्लाटर की चाबी अपने पास ली है। 17 तारीख से पशु वधशाला को बंद कर रखा है। नगर निगम को रोजाना एक लाख बीस हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। इसका जिम्मेदार कौन है। वहीं व्यापारी भी परेशान हैं। शहर में मीट की आपूर्ति ठप है। व्यापारियों का आरोप है की पशु चिकित्सा अधिकारी अजय कुमार ने ठेकदार के साथ मिलकर नगर निगम के स्लाटर हाउस में 5 करोड़ से अधिक का गवन किया है। अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है .

आगरा स्लाटर हाउस व्यापारी एसोसियेशन के अध्यक्ष हाजी जाफर ने नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी अजय कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा। एसोसियेशन के अध्यक्ष की एंट्री स्लाटर में बंद कर दी गई है क्योंकि उन्होंने स्लाटर हाउस में पशुओं के छोटे बच्चों को काटा जा रहा है। जिसका एसोसियेशन ने विरोध किया। सरकार ने छोटे बच्चों के कटान पर सख्ती से रोक लगाई है। यूपी के किसी भी स्लाटर हाउस में छोटे बच्चों का कटान नही किया जाता है। पशु चिकित्सा अधिकारी से इसकी शिकायत की गई तब उन्होंने अनसुना कर दिया और छोटे पशुओं का कटान जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा एक साल में 3 बार स्लाटर को बंद किया गया। अधिकारी और अल सुभाना व लाहम कंपनी ने मिलकर सरकार का करोड़ों का गवन किया है।

एसोसियेशन के महामंत्री इरशाद ने बताया कि पशु अधिकारी अजय कुमार ने स्लाटर के संबंध में मेयर को गुमराह किया है। उन्होंने मेयर को बताया गया की स्लाटर हाउस 3 साल से बंद है जबकि कमेलदार रोजाना प्रत्येक जानवर के कटान का 1100 रुपए शुल्क दे रहे हैं। जिससे नगर निगम को रोजाना लगभग डेढ़ लाख रुपए का आर्थिक लाभ मिलता है। लेकिन नगर निगम में ठेकेदार ने पिछले डेढ़ साल से नगर निगम का पैसा जमा नही किया है। डॉक्टर और ठेकेदार ने मिलकर नगर निगम को साढ़े 5 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। नगर निगम से 500 जानवर कटान की अनुमति है। जबकि रोजाना 1200 जानवर काटे जा रहे हैं। अवैध तरीके से स्लाटर से मिली भगत कर धन अर्जित किया जा रहा है।

एसिसियेशन के उपाध्यक्ष नाजिम कुरैशी का कहना है। पूर्व में एलाना कंपनी को नगर निगम से ठेका मिला था। कमेलदार प्रत्येक जानवर 425 रुपए जमा किया करते थे। शुल्क जमा करने वाले लोगों को पर्ची दी जाती थी। अलसुभाना और उसकी सहयोगी कंपनी 1100 रुपए प्रत्येक जानवर के कटान का शुल्क लेती है। और रसीद मांगने पर कमेलदारो को धमकियां देते हैं।

गौरतलब है की नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी पर पहले भी आरोप लग चुके हैं। लेकिन उच्चाधिकारियों की खामोशी के बाद व्यापारी खामोश हो जाते हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी अजय कुमार की नगर आयुक्त जिलाधिकारी सहित अन्य उच्चाधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है। लेकिन शिकायतों का कोई असर नहीं हुआ है। बड़ा सवाल यह है सरकार के सख्त आदेश मिलने पर भी नगर निगम के पशु वधशाला में जानवरों के छोटे बच्चों का वध किया जा रहा है। जो की सरासर गलत है। यह आरोप कोई और नहीं बल्कि कमेलदारों ने लगाए हैं। जो स्लाटर हाउस के भीतर आते जाते हैं।

मीट व्यापारियों ने आज जिलाधिकारी को ज्ञापन के माध्यम से मांग की है स्लॉटर हाउस में पशु चिकित्सा अधिकारी और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाए स्लाटर हाउस को खोला जाए।