आगरा: स्कूल ने फीस जमा न करने पर व्हाट्सएप ग्रुप पर बच्चों को घोषित किया डिफॉल्टर, RTI एक्टिविस्ट ने प्रशासन से की शिकायत

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आगरा: कोरोना काल की मार झेल रहे कुछ परिवार अभी भी आर्थिक चोट से उबर नहीं पाए हैं। जैसे तैसे अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण कर आ रहे हैं लेकिन कुछ प्राइवेट स्कूलों ने अब ऐसे अभिभावकों और बच्चों को शर्मिंदा करना शुरू कर दिया है जो बच्चे स्कूल की फीस नहीं दे पा रहे हैं। उन्हें स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप पर डिफॉल्टर कहकर उनके नाम उजागर किए जा रहे हैं। उन्हें सार्वजनिक रूप से बेइज्जत किया जा रहा है। ऐसे ही कुछ फोटो भी सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हुए हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट ने इसकी शिकायत प्रशासन और सरकार से की है।

घटिया के नामी स्कूल का है मामला

कुछ अभिभावक अपने बच्चों के स्कूल की फीस जमा नहीं कर सके। इसको लेकर स्कूल प्रशासन ने क्लास के ग्रुप पर लगभग 8 बच्चों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं और उस ग्रुप पर बच्चों के आगे डिफॉल्टर लिख दिया है। स्कूल सार्वजनिक रूप से इन बच्चों को तो शर्मिंदा किया है, वहीँ अभिभावक भी इस घटना से काफी परेशान हैं।

शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं

सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले यह फोटो स्कूल की सातवीं कक्षा ग्रुप के है। कक्षा सात के पढ़ने वाले बच्चों की फीस लेट होने पर स्कूल प्रशासन ने उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया। कक्षा के व्हाट्सएप ग्रुप में उन आठ बच्चों की सूची सार्वजनिक कर दी। जिससे बच्चे खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। इससे बच्चे मानसिक तनाव में है। अभिभावकों की बात नहीं सुनी जा रही है।

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने कहा कि यह बहुत शर्मनाक घटना है। फीस न देने पर किसी भी बच्चे को डिफॉल्टर घोषित नहीं किया जा सकता है। यह बच्चे के स्वाभिमान और गरिमा पर कुठाराघात है। फीस के लिए अभिभावकों से संवाद करना चाहिए। बच्चों को सार्वजनिक तौर पर बेइज्ज़त न किया जाए। नरेश पारस ने कहा कि वह इस मामले की शिकायत स्थानीय प्रशासन और बाल आयोग से करेंगे। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से भी शासन प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी है।

इस घटना से बच्चे तो परेशान है वहीं अभिभावकों की चिंता और ज्यादा बढ़ गई है। बच्चे छोटी-छोटी बातों को भी अब दिल पर ले लेते हैं। यह तो स्वाभिमान और इज्जत वाली बात है। फीस जमा न होने पर सार्वजनिक रूप से उन्हें डिफॉल्टर घोषित करना, बच्चों को तनाव में ला दिया है। अगर इस तनाव के कारण बच्चों ने कोई गलत कदम उठा लिया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? यह सवाल हर कोई पूछ रहा है।