आगरा: असंगठित क्षेत्र की ईट भट्टा पर काम करने वाले मजदूरों पर बड़ी मार पढ़ने जा रही है। सरकार की ओर से ईट भट्टा कारोबार पर जीएसटी की दर बढ़ा दी है। पहले से ही ईट भट्टा कारोबारी के लिए कोयला खरीदना महंगा हो गया है। वहीं जीएसटी की बढ़ाई गयी दर ने जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया है। ईट भट्टा कारोबारियों ने एलान किया है कि वह 1 वर्ष तक अपने ईट भट्टो को बंद रखेंगे। इस फैसले से मजदूरों पर मार पढ़ने वाली है। उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक तुलाराम शर्मा ने मजदूरों की इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और श्रम मंत्री के नाम से सहायक श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपा और इस ओर उचित कदम उठाने की मांग की।
12% की GST बढ़ा रही है दर्द
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने बताया कि ईट भट्टा एसोसिएशन का कहना है कि उनके कारोबार पर GST 12% कर दी गई है। इससे नुकसान और लागत बढ़ गई है। जून से अक्टूबर के बीच पहले ही काम बंद रहता है और कोयले की महंगाई की मार वो पहले से ही झेल रहे है। ऐसे में जीएसटी ने उनका दर्द और बढ़ा दिया है।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने बताया कि ‘एक ईट भट्टा सैकड़ो मजदूरों का घर चलाता है। काम के बदले उन्हें पैसा मिलता है और यह मजदूर इसी कार्य पर निर्भर है। अगर ईट भट्टा बंद हो गए तो उन असंगठित मजदूरों का क्या होगा। सब बेरोजगार हो जायेगें। सिर्फ लखनऊ के आस-पास 200 छोटे-बड़े भट्टे चलते हैं। यहां काम करने वाले 80 हजार लोगों के रोजगार का नुकसान होने वाला है।’
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने कहा कि कोयला भी लगातार महंगा होता चला रहा जा रहा है जिससें ईटो को पकाने में खर्चा ज्यादा आ रहा है। अभी ईट भट्टा मालिकों को बेहद कम कोयला मिल रहा है जिसकी सप्लाई दर बड़ाई जाए। इस कारोबार पर जो जीएसटी 12 प्रतिशत किया है उसे कम किया जाए।