Agra News: वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया

Press Release

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस को मैसूर में कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी में आयोजित पहले भारतीय संरक्षण सम्मेलन में मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन और जागरूकता पर बोलने का अवसर दिया गया। सम्मेलन में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों के अनुमानित सारांश रिपोर्ट का अनावरण किया और हाल ही में किये गई टाइगर आबादी की घोषणा भी की।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत, प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्षों को चिह्नित करने के लिए, मैसूर में कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी में पहली बार भारतीय संरक्षण सम्मेलन (आई.सी.सी.ओ.एन) आयोजित किया गया था। तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रकाशनों की एक श्रृंखला जारी करके किया गया, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण बंगाल टाइगर आबादी की वर्तमान संख्या थी।

घोषणा के बाद प्रधानमंत्री का भाषण हुआ। इस कार्यक्रम में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, मलेशिया और म्यांमार सहित बिग कैट रेंज देशों के मंत्रियों ने भाग लिया।

तीन दिवसीय सम्मेलन में, वन्यजीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस को ‘मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन और जागरूकता विषय पर बोलने का अवसर मिला। संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एम वी ने मानव-वन्यजीव संघर्ष के शमन पहलू पर बात की, जिसमें संगठन के राष्ट्रव्यापी बचाव कार्य पर विशेष ध्यान दिया गया।

उन्होंने कहा कि “हम आई.सी.सी.ओ.एन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी, ग्लोबल टाइगर फोरम, भारतीय वन्यजीव संस्थान, टाइगर रेंज देशों और प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल सभी लोगों को बधाई देना चाहते हैं। प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इतने बड़े पैमाने पर सम्मेलन का आयोजन करना यह एक सराहनीय उपलब्धि है।

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस खुश है कि हमें अपने काम के बारे में बात करने का मौका मिला। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी से सहमत हैं कि भारत ने न केवल बाघों को बचाया है बल्कि उनके फलने-फूलने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाया है। बाघों की संख्या बढ़ाना अपने आप में एक उल्लेखनीय पहल है। 2006 में, बाघों की संख्या 1,411 थी और वर्तमान जनसंख्या 3,167 है।