आगरा: सिकंदरा से हिरणों को इटावा लॉयन सफारी में शिफ्ट कर दिए जाने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सिकंदरा के उद्यान को संवारने की सुध ले ली है।
अब सिकंदरा के दक्षिणी गेट के दाईं व बाईं तरफ स्थित उद्यान में झाड़ियों को साफ किया जा रहा है। यहां पेड़ों के बीच प्राकृतिक घास को उगने दिया जाएगा। इसे देखरेख की अधिक आवश्यकता भी नहीं होगी। पहले चरण में दक्षिणी गेट (मुख्य प्रवेश द्वार) के पूर्वी व पश्चिमी ओर स्थित उद्यान में काम प्रारंभ किया गया है। पूर्वी उद्यान में दीवार के बराबर में उगी झाड़ियों को हटा दिया गया है। पश्चिमी उद्यान में यह काम चल रहा है। सिकन्दरा में बाहर से घास मंगाकर लगाने के बजाय प्राकृतिक घास उगने दी जाएगी।
अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल का कहना है कि इस उद्यान में कई चरणों में काम किया जाना है। हम उद्यान को मिली-जुली प्रकृति के आधार पर विकसित करेंगे। इसमें अधिक सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं होगी। एएसआई यहां आगरा किले के माधवगढ़ (खाई के बाहर यमुना किनारा रोड से लगे क्षेत्र) और सिकंदरा के कांच महल के समीप विकसित उद्यान की तरह काम करेगा। माधवगढ़ में लगभग 15 वर्ष पूर्व एएसआई ने उद्यान विकसित किया था।
हिरणों को सिकंदरा में ही रखे जाने की वकालत करने वाले कुछ लोग लंबे समय से झाड़ियों को साफ कराकर सियारों के परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे।
गौरतलब है कि सिकंदरा से हिरणों को विगत फरवरी माह में इटावा स्थित लायन सफारी में स्थानांतरित कर दिया गया था। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि यदि कुछ साल पहले ही झाड़ियों को हटा कर उद्यान विकसित किया जाता तो परिसर में सियारों के प्रवेश की संभावना नहीं रहती और हिरणों की संख्या में गिरावट नहीं आती। सियारों द्वारा हिरणों पर हमला किए जाने से ही उनकी संख्या में गिरावट आ रही थी।