Agra News: अशोभनीय, असंवेदनशील स्टैंडअप कॉमेडी का देश भर में विरोध करेगी संस्कार भारती, बैठक में लिया निर्णय

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आगरा। संस्कार भारती ने स्टैंड अप कॉमेडी की वर्तमान दशा, दिशा और स्तर पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसके अशोभनीय तथा असंवेदनशील प्रस्तुतीकरण का पुरजोर विरोध करने की घोषणा की है। यह निर्णय हाल ही में नासिक में संपन्न संस्कार भारती की अखिल भारतीय प्रबंधकारिणी एवं प्रशिक्षण वर्ग की बैठक में लिया गया है।

संस्था की अखिल भारतीय प्रबंधनकारिणी बैठक से आगरा लौटकर अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष एडवोकेट सुभाष चन्द्र अग्रवाल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री एवं प्रचारक विजय कुमार तथा आगरा महानगर के अध्यक्ष आर्किटेक्ट राजीव द्विवेदी ने विश्व संवाद केंद्र पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि वर्तमान समय में डिजिटल माध्यमों पर तेजी से लोकप्रिय होती स्टैंड अप कॉमेडी भारत की प्राचीन हास्य परंपरा को विकृत रूप बनाती जा रही है।

संस्कार भारती के अनुसार भारत की नाट्य परंपरा की आधारशिला आचार्य भरतमुनि के नाट्यशास्त्र द्वारा रखी गई है। आचार्य भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के अनुसार हास्य रस को नौ रसों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हास्य रस केवल हंसी के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज में और व्यक्ति के जीवन में संवाद, आत्म चिंतन, उल्लास और सकारात्मक सुधार का माध्यम है। चाहे संस्कृत नाटकों का सौम्य हास्य हो लोकनाट्य, नौटंकी, भांड तथा कवियों के व्यंगात्मक प्रस्तुतियां सभी ने समाज को जागरूक किया है।

संस्कार भारती का मानना है कि आधुनिक स्टैंड अप कॉमेडी ने हास्य के इस उद्देश्य से दूरी बना रखी है। आज यह माध्यम गालियों , अश्लील विचारों, धार्मिक प्रतीकों के अपमान और समाज में सौहार्द को नष्ट करके विभाजन को बढ़ाने वाली टिप्पणियों से हंसी बटोरने का भौंडे व अश्लील प्रयास करता है, जिससे संवेदनशीलता और सहिष्णुता कि भावना का नाश हो रहा है।

संस्कार भारती ने सभी कलासाधकों से आग्रह किया है कि वह अपनी रचनाओं में नैतिकता, विवेक और सांस्कृतिक चेतना का पालन करें। हास्य के साथ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनकी किसी भी प्रस्तुति के माध्यम से देश, समाज और व्यक्ति के जीवन में समग्रता आए। एकात्मता आए और कहीं भी कोई विभेदनकारी या अपमानकारी बात ना हो। साथ ही साथ संस्कार भारती ने दर्शकों से भी अनुरोध किया है कि वह गरिमा पूर्ण और उद्देश्यपूर्ण हास्य को प्रोत्साहित करें और अशोभनीय प्रस्तुतियां का विरोध करें।

संगठन ने सरकार, नीति निर्माता और सांस्कृतिक संस्थाओं से अपील की है कि वह हास्य विद्या के क्षेत्र में गुणवत्ता और अनुशासन भावना को सुनिश्चित करें। साथ ही देश भर के कलासाधकों से और कार्यकर्ताओं से आग्रह किया है कि वे इस दिशा में संवेदनशील और प्रेरणास्पद भूमिका निभाएं।

इस दौरान प्रांतीय उपाध्यक्ष नन्द नन्दन गर्ग, महामंत्री ओम स्वरूप गर्ग, उपाध्यक्ष इंजीनियर सुरेश चन्द्र अग्रवाल उपस्थित रहे।