विप्र वंश कीजै प्रभुताई, अभय होई जो तुम्हें डराई
आक्रमणकारियों से लेकर आधुनिक युग तक हमेशा निशाने पर रहा विप्र
आगरा। सिर्फ कथावाचक या शिक्षक नहीं समाज का मार्गदर्शन करने वाला होता है विप्र। एक विप्र या शिक्षक गलती करे तो उसे पीढ़िया भोगती हैं। कोई जाति या कुल नहीं बल्कि व्यक्ति के विचार और संस्कार उसे ऊंचा बनाते हैं। इसीलिए तो श्रीराम ने परशुराम से कहा था, विप्र वंश कीजै प्रभुताई, अभय होई जो तुम्हें डराई (ब्राह्मणवंश की ऐसी ही महिमा है कि जो आपसे डरता है, वह सबसे निर्भय हो जाता है। या जो भयरहित है वह भी आपसे डरता है।)।
विप्र यानि ब्राह्मण समाज के आदिकाल से समाज के लिए किए जा रहे योगदान, त्याग, ग्रंथों की रचना, विप्र समाज में पैदा हुई कुरीतियां और हमेशा हाशिए पर रहने की पीड़ा के चिन्तन के साथ अब नए विचारों, उत्साह और ऊर्जा के साथ कुरीतियों को त्यागकर आगे बढ़ने का संकल्प। कुछ ऐसे ही विचारों के साथ सूरसदन में सम्पन्न हुआ विप्र चिन्तन शिविर। जिसमें गाजियाबाद, अलीगढ़, झांकी, फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, मथुरा सहित प्रदेश के लगभग एक हजार लोगों ने भाग लिया और अपने-अपने विचार रखे। शिविर में 21 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा शिविर में पुरोहित कल्याण बोर्ड की घोषणा की थी, उस पर मल करने व रेणुका धाम को पर्यटक स्थल घोषित करने की मांग रखा गई
गजेन्द्र शर्मा, पवन समाधिया, डीके उपाध्याय ने पटका पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया। वक्ताओं में डॉ. लवकुश मिश्रा ने कहा कि सच यह है कि विप्र हमेशा आक्रमणकारियों से लेकर आज के आधुनिक समय में भी सभी के निशाने पर रहता है। सिर्फ धर्म की बात नहीं थी। इसलिए मंदिरों को लूटने के साथ नष्ट भी किया गया। सिर्फ धर्म की बात बात होती तो नालंदा की लाइब्रेरेरी चला कर नष्ट न की गई होती। क्योंकि वहां धन की बात नहीं थी, ज्ञान की बात थी। समाज में सामूहिक रूप से ज्ञान बांटने का काम विप्र करता है। पूरा विश्व त्रस्त है सिर्फ एक विशेष वर्ग से। हिंसा का समाधान नहीं मिल रहा है। आज शिक्षा का भटकाव है। जिसमें लोग सिर्फ डिग्रियां एकत्र कर रहे हैं। समय से और उचित शिक्षा नहीं हो रही है। जिससे रोजगार नहीं मिल रहा, जिससे विवाह में देरी और इससे जीवन का सुख समाप्त हो रहा है। सब एक दूसरे से जुड़े हैं।
राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने कहा कि समाज और संस्कार एक दूसरे के पूरक हैं। आधुनिकता की दौड़ में अपने संस्कारों से विमुख न हों। अपने बुजुर्गों के संस्कारों को हम आगे आने वाली पीढ़ियों को नहीं दे पा रहे। टूटे परिवारों और वृद्धाश्रम में बढ़ते वृद्धों की संख्या पर विचार करना होगा।
मधुकर चतुर्वेदी ने कहा कि हम अपने आचरण भारतीयता के अनुरूप कर लें तो हमें कोई नहीं रोक सकता। संजय शर्मा ने कहा कि हम पर धर्मनिरपेक्ष होने का आरोप लगता है। यदि ऐसा होता तो भारत धर्म के मार्ग पर चलने वाले श्रीराम को नहीं बल्कि रावण को पूज रहा होता। कहा कि सबसे पहले अपने परिवार और बच्चों को सुधारें। पिर समाज सुधार का काम करें।
मधुसूदन शर्मा ने इतिहास में ब्राह्मणों के योगदान पर प्रकाश डाला। हरिनारायण चतुर्वेदी ने बच्चों को संस्कारवान बनाने पर जोर दिया। यादवेन्द्र शर्मा ने कहा कि आरक्षण के दौर में ऐसे ब्राह्मण परिवार भी हैं जो दो वक्त की रोटी और बच्चों के लिए शिक्षा भी नहीं जुटा पा रहे। योगेन्द्र प्रदान ने कहा कि राजनीति के प्रभाव में 90 फीसदी वाले बेरोजगार हैं और 50-55 फीसदी वाले सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
डीजीसी क्राइम फिरोजाबाद ने कहा कि आप जिस पद पर हैं सकी जिम्मेदारी को सबसे पहले पूरी ईमानदारी के साथ निभाएं। वेद पाठक, गोविन्द पाराशर, राजकुमार शर्मा, आशुतोष अग्निहोत्री, देवेन्द्र कटारा, डीके वशिष्ठ ने भी अपने विचार रखे। संचालन राहुल चतुर्वेदी व धन्यवाद ज्ञापन कैलाश चंद मिश्रा, शैलेन्द्र शर्मा ने दिया।
मुन्ना मिश्रा के सहयोग का मिला आश्वासन
हाल ही में मुन्ना मिश्रा के भाई के नामनेर क्षेत्र में हुए मर्डर मामले में पूरा सहयोग कर आरोपियों को सलाखों के पीचे भेजने की बात कही गई। मुन्ना मिश्रा ने मंच से आप बीती सुनाई। कहा एक माह के बाद भी प्रसासन आरोपियों को पकड़ नहीं पाया है। इसके अलावा समाज के सभी जरूरमंद लोगों को सहयोग करने का आश्वासन दिया।
लवकुश मिश्रा ने कहा
आज भी रोजगार की कमी नहीं। सही व्यक्ति को सही रोजगार की जानकारी नहीं है। सरकारी क्षेत्र में भले ही न हो, व्यवसाय में परन्तु सम्भावनाओं की कमी नहीं। केदारनाथ मंदिर से चार महीने में खच्चर वालों की आय 102 करोड़ थी। यह डॉक्यूमेंटेड है। चार हजार करोड़ कुम्भ मेले के लिए सरकार ने खर्च किया, लेकिन कुम्भ मेले से एक लाख बीस हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था खड़ी हो गई। हमने अपने विद्वान, वैज्ञानिक और व्यवहारिक थे पूर्वजों से कुछ नहीं सीखा, जो विद्वान थे। क्योंकि लोगों ने हमारे न्दर हीन भावना भर दी। हमें उससे बाहर निकलना होगा। हमारी संस्कार और धर्म के सभी संस्कार वैज्ञानिक तत्यों पर आधारित हैं।
परशुराम जयन्ति नहीं, प्राकट्योत्सव मनाएं
दिनेश शर्मा ने कहा कि परशुराम भगवान विष्णु का अवतार थे। जिनका जन्म नहीं बल्कि प्राकट्य हुआ था। जयन्ति उनकी मनाई जाती जिनकी मृत्यु होती है। इसलिए भगवान परशुराम की जयन्ती नहीं बल्कि प्राकट्योत्सव मनाया जाना चाहिए। इसी तरह लोग हनुमान जयन्ती मनाते हैं। जबकि हनुमान प्राकट्योत्सव मनाया जाना चाहिए। कहा कोई बी भगवान किसी समाज, वर्ग या समुदाय विशेष के नहीं होते। भगवान व महापुरुषों को किसी दायरे में न बांधे।
संस्कार पाठशाला के विद्यार्थियों ने किया कार्यक्रम का शुभारम्भ
संस्कार पाठसाला भोगीपुरा के विद्यार्थियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ महर्षि परषुराम की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम गणेश वंदना व मां दुर्गा की स्तुति की। खास बात थी की कार्यक्रम में कोई मंच नहीं सजा था। मंच सिर्फ वक्ता मौजूद रहता था। कार्यक्रम में मौजूद हर व्यक्ति अपने आप में मुख्य और खास था।
रजिस्ट्रेशन के लिए क्यूआर कोड का किया विमोचन
विप्र चिन्त शिविर का सदस्य बनने के इच्छुक लोगों के लिए क्यूआर कोड का विमोचन भी किया गया। जिसके माध्यम ले लोग अपना रजिस्ट्रेशन कराकर संगठन से जुड़ सकते हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से ब्रज बहादुर, डीके वशिष्ठ, डीवी शर्मा, अशोक चौबे, तरुण शर्मा, रुचिका चतुर्वेदी, महन्त योगेश पुरी, बिट्टू गौड़, पवन समाधिया, राहुल शर्मा, अंकुर कौशल, विक्रांत शर्मा, भरत शर्मा, शैलेन्द्र शर्मा, कैलाश मिश्रा, भावना शर्मा, शालिनी शर्मा, प्रकाश चंद शर्मा, अनुराग चतुवेर्दी, हर्षित शर्मा, अपूर्व शर्मा, गौरव शर्मा, खेमचंद शर्मा, लोकेन्द्र दुबे आदि उपस्थित थे।
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