आगरा: नगर निकाय चुनाव में भाजपा में टिकट को लेकर बगावत खुलकर सामने आ रही है। पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने टिकट न मिलने पर विरोध जताया तो कइयों ने निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय ले लिया। टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ता ने भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। कुछ दावेदारों ने तो परिवारवाद और भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप लगाए।
नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन का सोमवार को अंतिम दिन था। नामांकन से एक दिन पहले भाजपा ने पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इसमें कई पूर्व पार्षदों की टिकट काट दी गई। इसके अलावा टिकट मांग रहे कई पुराने कार्यकर्ताओं की जगह दूसरे लोगों को टिकट दे दी गई। इसका विरोध हुआ। सोमवार को नामांकन के दिन टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ता बागी हो गए। अनेक निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए हैं।
बाग फरजाना से संजय राय पिछली बार पार्षद थे। संजय राय जनता के बीच काफी लोकप्रिय भी रहे। इस बार उन्होंने टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट कर दूसरे वार्ड से पार्षद शरद चौहान को बाग फरजाना से टिकट दे दिया। संजय राय ने पार्टी पदाधिकारियों से अपनी आपत्ति जताई, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में सोमवार को संजय राय ने निर्दलीय ही पर्चा दाखिल कर दिया।
दयालबाग के वार्ड 62 में भी बगावत हुई है। यहां से भाजपा के दयालबाग मंडल के अध्यक्ष भरत शर्मा ने टिकट के लिए दावेदारी की थी। जब लिस्ट आई तो भरत शर्मा का नाम नहीं था। उनकी जगह पर राजेश रावत को प्रत्याशी बना दिया गया। टिकट न मिलने पर भरत शर्मा ने निर्दलीय पर्चा भरा है।
वार्ड 55 शाहदरा में भी भाजपा प्रत्याशी को विरोधी पार्टी के साथ अपने ही साथी से चुनौती मिलेगी। यहां से पार्टी ने विजय वर्मा को टिकट दिया है। हालांकि विजय वर्मा को भी बी-फॉर्म लेने के लिए आंसू बहाने और आत्मदाह की धमकी देनी पड़ी।
विजय वर्मा को टिकट मिलने के बाद भाजपा कार्यकर्ता गजेंद्र वर्मा ने निर्दलीय पर्चा भरा है। गजेंद्र वर्मा को पिछली बार भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। तब भी वो निर्दलीय उतरे थे। उनके निर्दलीय उतरने से भाजपा को नुकसान हुआ था।
इन तीन वार्ड के अलावा कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पर पार्टी कार्यकर्ता ने अपने परिजनों को मैदान में उतारा है। इनके उतरने से भाजपा प्रत्याशियों को नुकसान होगा। ऐसे में विरोधियों की स्थिति मजबूत होती दिख रही है।