Agra News: बाराखंभा अंबेडकर भवन को रेलवे ने हटाने के​ लिए 15 दिन का दिया समय, मायावती और चंद्रशेखर बीजेपी सरकार पर हुए हमलावर

Politics

आगरा/लखनऊ। आगरा के बाराखंभा रेलवे फाटक के पास स्थित अंबेडकर सामुदायिक भवन पर रेलवे द्वारा अतिक्रमण का नोटिस लगाए जाने के बाद राजनीति शुरू हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं सांसद चंद्रशेखर ने इस मामले में सरकार से सवाल पीछे हैं। मायावती ने तो यहां तक कह दिया है कि क्या यही है सरकार का अम्बेडकर प्रेम?

ज्ञातव्य है कि बाराखंभा रेलवे स्थित अम्बेडकर सामुदायिक भवन को रेलवे ने अतिक्रमण घोषित करते हुए इसे 15 दिन में हटाने संबंधी नोटिस जारी किया है। बसपा चीफ मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर इस मामले को लेकर लिखा-“यूपी के आगरा में बाराखंभा रेलवे फाटक के पास दशकों से समाज हित व जनकल्याण आदि गतिविधियों से जुड़े ’अम्बेडकर भवन’ को अतिक्रमण बताकर उसे हटाने की कार्रवाई से लोगों में काफी रोष व आक्रोश व्याप्त है। लोगों का यह भी कहना है कि क्या यही है सरकार का अम्बेडकर प्रेम?

मायावती ने आगे लिखा-“ऐसे में केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि आगरा के साथ-साथ ऐसी और भी बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर-विरोधी कार्रवाईयों का तत्काल संज्ञान ले और जरूर उचित कार्रवाई भी करे। उम्मीद है कि सरकार जरूर सकारात्मक कदम उठाएगी।

इस मामले को लेकर नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र भी लिखा है। नगीना सांसद ने अपने पत्र में लिखा-“रेलवे प्रशासन, उत्तर मध्य रेलवे, आगरा के कार्यालय, सीनियर सैक्शन इंजीनियर (कार्य), ईदगाह द्वारा पत्रांक: सी1/3, दिनांक: 11.03.2025 के माध्यम से अम्बेडकर भवन (निकट फाटक संख्या 75A, बाराखंबा) को अतिक्रमण घोषित कर 15 दिनों के भीतर हटाने का नोटिस जारी किया गया है।

चंद्रशेखर ने पत्र में कहा कि यह भवन वर्षों से सामाजिक न्याय, शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों तथा बहुजन समाज के हितों के संरक्षण के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। ऐसे में इसे अतिक्रमण घोषित कर हटाने की कार्रवाई करना न केवल अनुचित है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों के प्रति अन्याय भी है।

इसके साथ ही चंद्रशेखर आजाद ने लिखा-“यह भवन उस स्थान पर स्थित है, जहां मौजूद गड्डों को भरकर आधी शताब्दी पूर्व इसे जनहित के लिए खड़ा किया गया था। यह केवल एक संरचना नहीं, बल्कि बहुजन समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना और उत्थान का केंद्र है। अतः इसे अतिक्रमण घोषित कर हटाने का कोई भी प्रयास न केवल ऐतिहासिक अन्याय होगा, बल्कि समाज के पिछडे और दलित वर्गों के प्रति उपेक्षा को भी दर्शाएगा।

उन्होंने कहा कि यह भवन समाज के हित में सार्वजनिक उपयोग के लिए खड़ा किया गया है। अतः हम रेलवे प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि इस मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखा जाए और किसी भी निर्णय से पहले इस भवन के सामाजिक महत्व को ध्यान में रखें।