आगरा: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत से टीबी रोग को खत्म करना चाहते हैं। इसके लिए भारत सरकार द्वारा कई जन जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, साथ ही टीबी के मरीजों को निशुल्क इलाज और दवाई भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं लेकिन उनके अभियान को अधीनस्थ अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। पौने दो साल की मासूम को टीबी रोग है। उसका इलाज चल रहा है लेकिन दवा की कमी के चलते उसका इलाज नहीं हो पा रहा है। पीड़ित पिता अपनी बेटी के लिए दवाओं के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन उसे अपनी बेटी के लिए दवा नहीं मिल पा रही है।
जिला अस्पताल से लौटा खाली हाथ
पीड़ित कोटली बगीची का निवासी है। उसके बच्ची पौने दो साल की है और तबियत बिगड़ने पर उसकी जांच कराई गई तो पता लगा कि उसे टीबी का रोग है। पिता ने उसका इलाज शुरू कराया। एक बार 8 दिनों की दवा मिल गयी लेकिन उसके बाद बच्ची को पूरी दवा आज़ तक नहीं मिली। जिला अस्पताल से उसे सेमरी स्थित ऑफिस भेज दिया लेकिन वहाँ भी बेटी की दवा नहीं मिली। अब उसे दवा के लिए उसे दर दर भटकना पड़ रहा है।
बेटी ने 8 दिन से नहीं खाई दवा
पीड़ित ने बताया कि बेटी ने पिछले 8 दिनों से पूरी दवा नहीं खाई है। एक दवा तो आठ दिनों से नहीं मिली है। उसकी इस दवा के लिए दर दर भटक रहा हूँ। पिछली बार जिला अस्पताल आने पर सीएमएस अनीता शर्मा ने डॉट्स सेंटर से दवा दिलवाई थी लेकिन इस बार मीटिंग होने के चलते उनसे मुलाकात नहीं हो पाई है।
कैसे होगा बेटी का इलाज
पीड़ित पिता का कहना था कि बेटी अभी दो साल की भी नही है। ऐसे में उसे टीबी रोग से ग्रसित होना बड़ा हमारे लिए झटका था। बेटी का इलाज कराना शुरू किया तो अब उसे दवाएं नहीं मिल पा रही है। दवा नहीं मिलेंगी तो बेटी का इलाज कैसे मिलेगा। यह सोचकर दिल बैठ जाता है।
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