आगरा: देशभर में आज ईद उल फितर बड़े ही प्रेमभाव के साथ मनाई जा रही है। ईद की नमाज अदा करने के लिए भारी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग ईदगाह की शाही मस्जिद पहुँचे थे। नमाजियों से ईदगाह की शाही मस्जिद पूरी भर गई लेकिन नमाजियों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा था। नमाजियों ने मस्जिद के बाहर भी नमाज अदा की। नमाज के बाद सभी मुस्लिम भाइयों ने एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद दी।
आपको बताते चले कि पाक रमजान के पूरे माह तक इबादत का दौर चला। कल शाम ईद का चाँद दिखने पर आज ईद होने की तस्दीक की गई और मुस्लिम समाज में खुशी की लहर दौड़ गयी। रात से ही लोगों ने एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देना शुरू कर दिया। देर रात तक खरीदारी का दौर चला और आज सुबह से आगरा की ईदगाह मस्जिद ,जामा मस्जिद और ताज महल समेत कई जगह पर ईद उल फितर की नमाज अता की गयी।
आज आगरा की ईदगाह शाही मस्जिद में सुबह सबसे पहले नमाज अता की गई। शहर मुफ़्ती ने ईद की नमाज अता करायी। इस अवसर पर जिला अधिकारी नवनीत चहल और पुलिस कमिश्नर प्रतिंदर सिंह मौजूद रहे। नमाज होने के बाद सभी ने एक दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई दी। मौके पर मौजूद्द जिलाधिकारी आगरा नवनीत चहल और पुलिस कमिश्नर आगरा प्रीतेंदर सिंह सहित शहर के अन्य अधिकारियों ने भी मुस्लिम समाज के लोगों को बधाई दी।
ईद की नमाज होने पर जिला अधिकारी नवनीत चहल मीडिया से रूबरू हुए। जिलाधिकारी ने मीडिया के माध्यम से सभी को ईद की मुबारकबाद दी साथ ही शहर में शांति और सौहार्द रखने और एकजुटता से भाईचारे के साथ ईद मनाने की अपील की। पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि ईद के अवसर पर पुलिस बल भी मस्जिदों पर लगाया गया था ताकि नमाज के दौरान असामाजिक तत्व फिजा को बिगाड़ने की कोशिश न कर सके। ईदगाह पर अच्छे से नमाज अदा हुई है। इसके लिए सभी को ईद की मुबारकबाद।
क्यों मनाई जाती है ईद
मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाया जाता है।
काज़ी डॉ सैय्यद उरूज अहमद ने बताया, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ईस्वी में पहली बार (करीब 1400 साल पहले) ईद-उल-फितर मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बताया है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस प्रकार ईद मनाने की परंपरा अस्तित्व में आई।