-हींग की मंडी निवासी अनिल अग्रवाल ने किया था परिवाद प्रस्तुत
– दर्शन, पूजा से वंचित रखने, अभद्रता एवं धमकी के लगाए आरोप
-तीन नवम्बर को अधीनस्थ न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश
आगरा। अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध सत्र न्यायालय में रिवीजन करने पर जिला जज ने मनकामेश्वर मन्दिर के मठ प्रशासकों हरिहर पुरी एवं योगेश पुरी द्वारा प्रस्तुत रिवीजन को खारिज कर उन्हें राहत देने से इंकार कर दिया।
मामले के अनुसार, वादी मुकदमा अनिल अग्रवाल पुत्र कन्हैया लाल निवासी हींग की मंडी, थाना एमएम गेट ने प्रसिद्ध मनकामेश्वर मन्दिर रावतपाड़ा के सेवादार थानेश्वर प्रसाद तिवारी, मनकामेश्वर मन्दिर के मठ प्रशासकों हरिहर पुरी एवं योगेशपुरी पुत्रगण उद्धवपुरी निवासीगण रावतपाड़ा के विरुद्ध परिवाद पत्र अदालत में प्रस्तुत किया था। परिवाद में कहा गया कि वह विगत 22 वर्षों से प्रतिदिन सुबह पांच बजे पूजा-अर्चना हेतु मनकामेश्वर मन्दिर जाता रहा है।
मंगला आरती के समापन उपरांत सुबह 6.45 बजे वहाँ से घर की ओर प्रस्थान करता है। पूर्व में मन्दिर के पट ग्रीष्म ऋतु में सुबह 4.30 बजे एवं शरद ऋतु में पांच बजे खुलते थे। अब ग्रीष्म ऋतु में 5.35 बजे एवं शरद ऋतु में 6.05 बजे खुल रहे हैं।
वादी मुकदमा का आरोप था कि भोलेनाथ के शिवलिंग पर स्नान, पूजा-अर्चना सभी भक्तों द्वारा की जाती थी, लेकिन मंदिर में अब केवल चयनित लोगों को ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने, पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाती है। वादी एवं अन्य श्रद्धालुओं को भोलेनाथ की पूजा-अर्चना से वंचित रखा जा रहा है, मंगला आरती के दौरान उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता।
वादी का कहना है कि विगत छह नवम्बर, 2022 की सुबह 6.15 बजे वह आरती का इतंजार कर रहा था। सेवादार थानेश्वर प्रसाद तिवारी के समक्ष पक्षपात का विरोध करने पर सेवादार ने वादी के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया एवं उसे जान से मारने की धमकी दी, उक्त परिवाद में वादी मुकदमा ने स्वयं एवं राजकुमार तथा अशोक राठौर की गवाही दर्ज कराई।
एसीजेएम-4 ने वादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर संज्ञान लेकर 09 फरवरी, 2023 को मठ प्रशासकों हरिहर पुरी एवं योगेश पुरी को भा.द.स. की धारा 341 (किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करना) एवं सेवादार थानेश्वर प्रसाद तिवारी को भा.द.स. की धारा 504 (गाली गलौज) एवं 506 (जान से मारने की धमकी) के आरोप में मुकदमे के विचारण हेतु तलब करने के आदेश दिये थे।
मठ प्रशासकों द्वारा अधीनस्थ न्यायालय के आदेश के विरुद्ध जिला सत्र न्यायालय में रिवीजन प्रस्तुत किया गया था। जिला जज विवेक संगल ने रिवीजन को खारिज कर अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को यथावत रख उन्हें राहत देने से इंकार कर दिया। जिला जज ने उन्हें तीन नवम्बर, 2023 को मुकदमे के विचारण हेतु अधीनस्थ न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश दिये।
Compiled: up18 News
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