आगरा: सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि शमसाबाद थाना क्षेत्र में जीएस पैथोलॉजी लैब, नीलम हेल्थ क्लीनिक को सील कर दिया है। इनको झोलाछाप चला रहे थे।
इनके पास लाइसेंस और अग्निशमन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बायोमेडिकल वेस्ट समेत अन्य विभागों की एनओसी भी नहीं थी। इनके यहां कोनों में बायो मेडिकल वेस्ट बिखरा हुआ था। इनकी शिकायत भी मिली थी। न्यू राधिका हॉस्पिटल में डॉक्टर नहीं होने पर मरीज भर्ती पर रोक लगा दी है। इन तीनों के संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए थाने में तहरीर दी है।
अपंजीकृत अस्पताल सेल के नोडल प्रभारी डॉ. सुरेंद्र मोहन प्रजापति ने बताया कि जीएस पैथोलॉजी लैब पंजीकृत नहीं है। यहां जांच करने की मशीन और स्लाइड मिली।
बायोमेडिकल वेस्ट पॉलिथीन और कार्टन में भरा हुआ था। यहां डेंगू, मलेरिया, एचआईवी, हीमोग्लोबिन, सीबीसी समेत कई तरह की जांच हो रही थीं। संचालक ने बताया कि डॉ. सीपी गुप्ता के नाम से लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। टीम ने कहा कि लाइसेंस नहीं होने पर जांच कैसे की और कौन जांच कर रहा था। इस पर वह चुप्पी साध गया।
नीलम हेल्थ क्लीनिक भी बिना लाइसेंस के चल रही थी। इसकी संचालक नीलम थी। ये घर में चल रहा था। कमरे में डिलीवरी टेबिल, ग्लब्स समेत अन्य उपकरण मिले। पूछताछ में पता चला कि ये किसी निजी अस्पताल में सफाईकर्मी थी, फिर आया का कार्य करने लगी। अब खुद ही प्रसव कराती थी। गर्भपात कराने की भी आशंका है। कमरे में बायोमेडिकल वेस्ट मिला। पूछने पर खुद के नाम से लाइसेंस के लिए आवेदन किया है।
न्यू राधिका हॉस्पिटल में छापे के वक्त यहां एक प्रसूता भर्ती मिली। इसको खून चढ़ाया गया था। टीम ने तीमारदार से पूछा कि कौन से डॉक्टर इलाज कर रहे हैं और खून किसने चढ़ाया। वह नहीं बता पाए। संचालक भूपेंद्र सिंह मिला। अस्पताल पंजीकृत है, डॉक्टर नहीं मिला। अस्पताल में पांच बेड मिले। अग्निशमन उपकरण भी एक्सपायर्ड थे। स्टाफ भी प्रशिक्षित और क्वालीफायड नहीं मिला।
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