Agra News: वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के संयुक्त बचाव अभियान में घायल मादा लकड़बग्घे की जान बचाई

स्थानीय समाचार

आगरा के फतेहाबाद रेंज के बिलपुरा गांव से हाल ही में एक मादा लकड़बग्घे को बचाया गया। स्थानीय किसानों ने उसे अपने खेतों में असहाय और घायल अवस्था में देखा और अधिकारियों को सूचित किया। उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घायल जानवर को सुरक्षित बचाया और तत्काल चिकित्सा उपचार के लिए पहुंचाया। लकडबग्घा गंभीर रूप से निर्जलित था एवं उसके सिर और चेहरे पर गंभीर चोटों के साथ ही सूजन भी थी जिससे उसकी दृष्टि बाधित हो रही थी और उसका निचला जबड़ा घायल था, जिसकी बाद में एक्स-रे जांच में जबड़े में फ्रैक्चर का पता चला। घायल लकड़बग्घे का वर्तमान में वाइल्डलाइफ एसओएस के आगरा भालू संरक्षण केंद्र में गहन चिकित्सा उपचार चल रहा है।

बिलपुरा के खेतों में काम कर रहे किसानों ने सबसे पहले लकड़बग्घे को असहाय स्थिति में देखा। उसकी हालत की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तुरंत उत्तर प्रदेश वन विभाग को सूचित किया, जिन्होंने सहायता के लिए संस्था की आपातकालीन हेल्पलाइन (+91 9917109666) के माध्यम से वाइल्डलाइफ एसओएस से संपर्क किया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के बचाव दल और एक पशु चिकित्सक सहित पांच सदस्यीय टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। जांच करने पर टीम ने पानी की कमी, एक आंख के आसपास सूजन (जिससे लकड़बग्घे की दृष्टि बाधित हो रही थी), मुंह से खून बहना और जबड़े का लटकना जैसे लक्षण देखे। लकड़बग्घे को सुरक्षित पकड़ने के बाद, उसे व्यापक चिकित्सा जांच और गहन देखभाल के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस आगरा भालू संरक्षण केंद्र ले जाया गया।

इंडियन स्ट्राइप हाइना (लकड़बग्घा) वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित है और भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली लकड़बग्घे की एकमात्र प्रजाति है। आई.यू.सी.एन की रेड लिस्ट में इसे ‘नियर थ्रैटंड’ (संकट के निकट) श्रेणी में रखा गया है और इसकी वैश्विक आबादी 10,000 से कम होने का अनुमान है।

आगरा के डीएफओ, राजेश कुमार आई.एफ.एस ने कहा “ग्रामीणों की त्वरित प्रतिक्रिया और वन विभाग तथा वाइल्डलाइफ एसओएस के समन्वित प्रयासों ने इस लकड़बग्घे को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि घायल वन्यजीवों को समय पर सहायता और सर्वोत्तम संभव देखभाल मिले।”

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “यह बचाव अभियान वन्यजीवों की सुरक्षा में सामुदायिक जागरूकता के महत्व को उजागर करता है। इस तरह की चोटें अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्ष का परिणाम होती हैं, और समय पर हस्तक्षेप किसी जानवर के जीवित रहने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।”

वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ. इलयाराजा एस ने बताया, “जब हमारी टीम घटनास्थल पर पहुंची तो लकड़बग्घे की हालत गंभीर थी। फिलहाल उसका गहन पशु चिकित्सा उपचार चल रहा है, जिसमें हाइड्रेशन थेरेपी, दर्द निवारण और घाव का इलाज शामिल है, और हम उसकी नाज़ुक स्थिति पर विशेषज्ञ निगरानी रख रहे हैं।”