आगरा: सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर सरकार सख्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अधिकारियों को सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के निर्देश दे चुके है। अधिकारी व कर्मचारी इस आदेश का पालन कर रहे है तो उन्हें बंधक बनाकर मारपीट की जा रही है। ताजा मामला मलपुरा थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
सिंचाई विभाग के अवर अभियंता व कर्मचारी नहर की जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने गए तो कॉलोनाइजर ने उन्हें बंधक बना लिया उनके साथ मारपीट की गई। पुलिस को सूचना दी गई तो 1 घंटे बाद पहुंची। पुलिस ने सिंचाई विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को मुक्त कराया गया। पीड़ित सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने मारपीट की तहरीर मालपुरा थाने में दी तो पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया लेकिन मेडिकल नहीं कराया जिससे कर्मचारियों में खासा आक्रोश देखने को मिला।
पूरा मामला मलपुरा थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक मौजा बरारा के राजवाहा नहर पर निर्मित पुलिया पर अवैध निर्माण की सूचना मिली थी। इस पर शीशपाल विजयपाल सिंह मौका मुआयना कर रही थी तभी आगरा की ओर आ रही नहर पर एक पुलिया का निर्माण चल रहा था जो अवैध था। विनोद कुमार पुत्र रमेश चंद्र इस पुलिया पर अवैध कब्जे का निर्माण कर रहे थे। जब टीम ने इस पुलिया पर चल रहे अवैध निर्माण को रोका तो आरोपी कॉलोनाइजर अपने समर्थकों के साथ हावी हो गया। गली गलौज करने लगा और बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट कर दी। इसकी सूचना पुलिस को दी गयी तो आरोपी ने उनके मोबाइल तक छीन लिए। पुलिस लगभग 1 घन्टे बाद पहुँची।
पीड़ित ने बताया कि पुलिस द्वारा उन्हें बंधक मुक्त कराए जाने के बाद वह मालपुरा थाने पहुंचे। लिखित में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली लेकिन उनका मेडिकल नहीं कराया ना ही उन्हें मेडिकल कराने के लिए चिट्ठी दी गई। पुलिस की इस कार्यशैली से सभी कर्मचारियों में भी खासा रोष देखने को मिला।
घटना से आकर्षित होकर कर्मचारियों ने प्रतापपुर स्थित सिंचाई विभाग के ऑफिस पर बैठक की, जहां पीड़ित ने सभी पदाधिकारी के सामने अपनी व्यथा रखी, साथ ही पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। इसको लेकर कर्मचारी संघ के नेताओं में खासा आक्रोश देखने को मिला।
कर्मचारी नेता अजय शर्मा का कहना था कि पुलिस की कार्यशाली पूरी तरह से संदिग्ध नजर आ रही है। पीड़ित को गंभीर चोट है और हालत अस्पताल में भर्ती करने की हो रखी है। अगर पुलिस की यह कार्य शैली नहीं बदली तो वह आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे।
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