आगरा। हजारों वर्ष पुराने भारत के लुप्त होते फ्रैब्रिक का जलवा आज ताजमहोत्सव में बिखरा। भारत के बुनकरों की लुप्त होती कला कच्छ का काला कॉटन, हरियाणा रेजा और झारखंड का पंछी एंड परहन जैसे फ्रैब्रिक को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर के लगभग 150 मॉडल रैम्प पर उतरे। वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम द्वारा ताजमहोत्सव के मुक्ताकाशी मंच पर फैशन का ऐसा फ्यूजन नजर आया जिसमें भारतीय परम्परा, संस्कृति के साथ कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक का फैशन और बुनकरों की कलात्मकता भी नजर आयी।
वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम के सीईओ अंकुश अमानी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि फैशन शो में शामिल किए गए सभी परिधानों के फ्रैब्रिक भारत की लगभग 5 हजार पुरानी परम्परा है, जो ब लुप्त हो रही है। फैशन शो का उद्देश्य बुनकरों को प्रोत्साहित कर भारतीय कला व संस्कृति को बचाए रखना है।
जगमगाती रोशनी और धमाकेदार म्यूजिक के बीच मॉडलों के साथ गाजियाबाद की एडीएम ऋतु सुहास व एसिड अटैक सर्वाइवर सोनिया चौधरी भी भारत के बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए रैम्प पर उतरीं।
इस अवसर पर कच्छ से आए बुनकर सीजू नरेश ने बताया कि अब मात्र एक गांव कच्छ ही बचा है, जहां काला कॉटन के लिए रुई की खेती करने से लेकर फ्रैब्रिक बनाने तक सभी काम बुनकरों द्वारा किया जाता है। वहीं झारखंड की आस्था किरन ने पंछी एंड परहन फ्रैब्रिक के बारे में बताया कि आज भी आदिवासी क्षेत्र के लोग शुभ अवसर के मौके पर इसी फ्रैब्रिक के बने परिधान पहनते हैं। रेजा फ्रैब्रिक रोहतक के कैदियों द्वारा तैयार किया जा रहा है। परिधानों के माध्यम से भारत के सामाजिक मुद्दों को भी प्रस्तुत किया।
फैशन शो का शुभारम्भ मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैशन शो का आयोजन हमरी कला और संस्कृति का बचाए रखने के लिए जरूरी है।
इस अवसर पर यूपी खादी बोर्ड के सीईओ अरुण प्रकाश, रामसकल गुर्जर, पूरन डावर, वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम के सीईओ अंकुश अमानी, सृष्टि कुलश्रेष्ठ, पुष्पेन्द्र सिंह, रवि, माधुरी वर्मा, हिरल आदि उपस्थित रहे।
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