आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण की मूर्ति दबी होने के विवाद में कथा वाचक देवकीनंदन महाराज की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की गई है। कोर्ट की ओर से इस मामले में नोटिस जारी कर 31 मई को सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए बुलाया है। आज इस मामले में कोर्ट में सुनवाई थी, लेकिन दो पक्षकारों द्वारा नोटिस तामील न होने पर सुनवाई टाल दी गई। अब सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि आगरा की जामा मस्जिद में जो सीढ़ियां बनी हैं, उनके नीचे श्रीकृष्ण भगवान की मूर्तियां हैं। देवकीनंदन ने कहा, ”पहले हमारे देश में बाहर से आए मुगल आक्रांताओं ने सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति को नुकसान पहुंचाने और अपमानित करने के काम किए थे। 1670 में औरंगजेब ने मथुरा में हिंदू जनमानस के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर प्राचीन ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर उस स्थान पर मस्जिद बनवा दी थी।”
औरंगजेब ने केशवदेव मंदिर की मूर्तियों को आगरा की जामा मस्जिद (जहां आरा बेगम मस्जिद छोटी मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया। सनातन धर्म और हिंदुओं को अपमानित करते हुए मुस्लिम लोग इन सीढ़ियों पर चढ़कर मस्जिद में जाते हैं। हमारे आराध्य भगवान की पवित्र मूर्तियों आज भी पैरों के नीचे रौंदी जा रही हैं।”
देवकीनंदन की ओर से इस मामले के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट बनाया है । ट्रस्ट की ओर से ही 11 मई को वाद दायर किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, छोटी मस्जिद, दीवाने खास, जहांआरा मस्जिद आगरा किला, यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और श्रीकृष्ण सेवा संस्थान को नोटिस भेजा था। इन सबको अपना पक्ष रखने के लिए 31 मई की तारीख दी गई है।
आगरा में बिजली घर के पास शाही जामा मस्जिद है। इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि इस मस्जिद को शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा ने बनवाया था। जब मुमताज की मौत हुई थी, उस समय जहांआरा महज 17 साल थी। मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने अपनी आधी संपत्ति जहांआरा को दी और बाकी की संपत्ति अन्य बच्चों में बांटी थी। जहांआरा उस समय की सबसे अमीर शहजादी थी। उसे तब करीब 2 करोड़ रुपये का सालाना वजीफा (जेब खर्च) मिलता था।
जहांआरा ने अपने वजीफा (जेब खर्च) से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था। जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है। जिसमें करीब पांच लाख रुपए खर्च हुए थे।
जामा मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से बनी है। इसकी दीवार में लगी टाइल्स की आकृति ज्यामितीय है। जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं। भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित स्मारक में जामा मस्जिद शामिल है।
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था केशवदेव मंदिर की मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढियों के नीचे दबा दिया गया था। इसका जिक्र तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में किया है।
सन् 1940 में एसआर शर्मा ने ‘भारत में मुगल समराज’ नाम से किताब लिखी थी, इसमें मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का विस्तृत रूप से जिक्र किया गया है। इसके अलावा औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक ‘मआसिर-ए-आलमगीरी में फारसी भाषा मे इस घटनाक्रम का उल्लेख किया है।
भारत के मशहूर इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक ए शार्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में भी इस घटना का जिक्र मिलता है। विदेशी लेखक फ्रेंकोस गौटियर की पुस्तक औरंगजेब आइकोनोलिज्म में भी इस घटना का जिक्र है।
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