Agra News: सिविल सोसायटी के जल संरक्षण को समर्पित ‘नमामि करौली मैया’ अभियान को डॉ. मंजू भदौरिया ने बताया सकारात्मक प्रयास

Press Release

आगरा। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जल संरक्षण अभियान को समर्पित ‘नमामि करौली मैया’ अभियान को जिला पंचायत प्रमुख डॉ. मंजू भदौरिया ने एक सकारात्मक प्रयास बताते हुए सदभावनायें जताई हैं। उन्होंने कहा कि जलसंरक्षण आज की आवश्‍यकता है। सिंचाइर्बंधु की अध्‍यक्ष के रूप में जल संचय के प्रयासों को प्रभावी बनाये जाने के लिये जो किया जा सकता है उसके लिये प्रयास करेंगी।

जिला पंचायत अध्यक्ष अपने कैंप कार्यालय पर सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधिमंडल से आगरा जनपद के खैरागढ़, जगनेर, फतेहपुर सीकरी , शमशाबाद तथा फतेहाबाद विकास खंडों के जल स्त्रोतों और उनके बेहतर प्रबंधन संभावनाओं को लेकर अनौपचारिक चर्चा कर रही थीं।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने डॉ. श्रीमती भदौरिया को अभियान की जानकारी देते हुए एक तथ्य पत्र सौंपा। सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने कहा कि करौली-सवाई माधोपुर की पहाड़ियों (Vindhya-Aravalli Range) से निकलने वाली जलधाराएं और वर्षाकालीन उफान राजस्थान  और उप्र दोनों के लिये ही अत्यंत उपयोगी है। भूगर्भ जल की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार का बेहतरीन  सहज उपलब्ध माध्‍यम हैं। करौली मैया के प्रति आगरा की जनता की अगाध आस्था है और वहां जल धाराओं को उनका प्रसाद मानकर बेहतरीन प्रबंधन की अपेक्षा करती है।

सोसायटी की ओर से जिला पंचायत अध्‍यक्ष्‍। से अनुरोध किया गया कि तथ्‍य पत्र उन नदियों और जल स्रोतों को संज्ञान में लेकर जनपद के जलसंचय  लक्ष्य के अनुरूप कार्य योजना पर विचार करें। सोसायटी ने अध्यक्ष से कहा कि करौली जनपद का अरावली और विद्या पहाड़ी समूह से अनेक जलधारा प्रस्फुटित होती हैं ये अपने आप में भौगोलिक विशिष्‍टतायें है और परोक्ष रूप से मां करौली देवी का प्रसाद हैं। शुष्क पहाड़ियों की इन जलधाराओं में मानसून काल में सामान्य से कम वर्षा होने पर भी भरपूर जलराशि संचय को उपलब्ध होती है।

राजस्थान के धौलपुर और भरतपुर जनपदों में इन्‍हें यथासंभव मात्रा में बंधों के रूप में संजोकर रखा जाता है किन्तु बंधियों का जल विस्तार क्षेत्र /डूब क्षेत्र खेतों में होने के कारण रबी की फसल पूर्व बांधों से डिस्चार्ज करना पड़ता है। यह समस्त जलराशि चिकसाना नाला (खारी नदी का सहायक चैनल) खारी नदी , किबाड, पार्वती नदी होकर उटांगन पहुंचता है और बटेश्वर धाम के अपस्ट्रीम में रहवली गांव के निकट यमुना नदी में समाती है।

जगनेर की 34 बंदियों का मानसून कालीन पानी भी उटंगन नदी में ही डिस्चार्ज होकर पहुंचता हैा। अरनौटा के डाउन तथा नगला बिहारी (फतेहाबाद) के क्षेत्र  इस विशाल जल राशि को  सहेजने की पर्याप्त अनुकूल स्थितियां हैं। फतेहाबाद -शमशाबाद वटर सप्लाई के साथ ही आगरा के बाह्य क्षेत्र के लिये भी सह सहेजा जल अत्‍संत उपयोगी है।

चूंकि राजस्थान सरकार ने उटंगन नदी के हेड पर बना खनुआ बांध को फंक्‍शनल कर दिया है और मानसून काल में बांध में भरपूर पानी एकत्र होगा। यह पानी मानसून काल के बाद भी गेहूं और सरसों की बुवाई के लिए खेतों को खाली करवाने के लिये उटंगन में होकर डिस्चार्ज किया जायेगा।

इसी प्रकार चिकसाना नाले का 800 हेक्टेयर जलभराव वाला बधा राजस्‍थान सरकार के द्वारा दुरुस्‍था करवा दिए जाने के कारण इसका पानी भी खारी या उटंगन में संचय के लिए उपलब्‍ध रहेगा।

अभियान में कैलामाता की कृपा से करौली की पहाड़ियों की नदियों के पानी के बेहतर प्रबंधन की जरूरत के प्रति नागरिकों, सामाज एवं राजनैतिक नेतृत्व करने वालों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास होगा।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  के जर्नल सैकेट्री अनिल शर्मा ने कहा कि जिला पंचायत प्रमुख डॉ. मंजू भदौरिया से अनुरोध किया कि सिंचाई विभाग की अध्यक्ष के रूप में उप्र और राजस्थान जल प्रबंधन समझौतों के आगरा की जलस्‍त्रों के प्रबंधन में आधारभूत हिस्‍सेदारी सुनिश्‍चित करवायें।

तेरह मोरी बांध का भराव सुनिश्‍चित करने के लिये अजान बांध (राजस्थान) के राजा बृजेन्‍द्र सिंह बैराज से तेरहमोरी तक पानी लाने वाले वाटर चैनल को सुचारू करवायें। अजान बांध से मिलने वाला पानी जितना भरतपुर पक्षी अभयारण्य के लिये जरूरी है उससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण तेरहमोरी बांध के लिये है।

दरअसल तेरह मोरी बांधा विश्वदाय संपत्ति फतेहपुर सीकरी का अभिन्न भाग तथा, पुरातत्व विभाग की सूची में विरासत जलाशय के रूप में दर्ज है संपदा तो है ही साथ ही जनपद की तीसरी सबसे बड़ी नदी खारी (लगभग 67 किमी) का हेड भी है।

इस प्रतिनिधिमंडल में अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना एवं असलम सलीमी शामिल रहे।