Agra News: बुद्ध विहार चक्की पाट पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती

Press Release

आगरा: आज देशभर में  डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। आगरा शहर में भी इसकी धूम देखने को मिल रही है। पूर्वोदय बुद्ध विहार चक्की पाट पर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर भारी संख्या में बौद्ध व आंबेडकर अनुयायी पहुँचे। उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

आपकों बताते चले कि डॉ भीमराव आंबेडकर का आगरा से गहरा नाता रहा। बौद्ध धर्म अपनाने से पहले उन्होंने 1956 में आगरा आए थे। आगरा के रामलीला मैदान में 18 मार्च 1956 को एक अधिवेशन में शिरकत की और इसी दौरान उन्होंने ऐतिहासिक भाषण भी दिया। अधिवेशन के बाद वे पैदल रामलीला मैदान ग्राउंड से बिजलीघर स्थित चक्की पाट पहुंचे। वहां पर उन्होंने बुद्ध विहार की स्थापना की।

पूर्वोदय बुद्ध विहार प्रबंधन समिति के मंत्री चौधरी राम गोपाल ने बताया कि बुद्ध विहार चक्की पाट बुद्ध अनुयायियों के लिए उनके पवित्र स्थलों में से एक है। 18 मार्च 1956 को रामलीला मैदान, आगरा में सभा करने के बाद डॉ. आंबेडकर ने पूर्वोदय चक्कीपाट में तथागत महात्मा बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की। मूर्ति आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है। जुलाई 1957 को बौद्ध भिक्षु कौडिन्य ने आगरा आकर विशाल बुद्ध विहार का निर्माण कराया। सन 1967 में इसकी देखभाल के लिए बुद्ध विहार प्रबंध समिति बनाई गई जो वर्तमान में भी इसकी देखरेख का जिम्मा संभाल रही है।

चौधरी राम गोपाल ने बताया कि डॉ भीमराव आंबेडकर के मरणोपरांत उनकी अस्थियां देश के अलग-अलग 6 स्थानों पर रखी हुई हैं। उन 6 स्थानों में से एक पूर्वोदय बुद्ध विहार भी है। आगरा चक्की पाट बुद्ध विहार के गर्भ गृह में अस्थियां चांदी के कलश में मौजूद हैं जिन्हें 13 जनवरी 1957 को उनके पुत्र यशवंतराव चांदी के कलश में रखकर आगरा लाये थे। उन्होंने ही इस पूर्वोदय बुद्ध विहार पर डॉ आंबेडकर की अस्थियों को रखा था।

6 दिसंबर उनके परिनिर्वाण दिवस के मौके पर तमाम बौद्ध भिक्षु, अनुयायी और शहर वासी उनकी अस्थियों के दर्शन करने के लिए चक्की पाट पहुंचते हैं। उनके अनुयायियों द्वारा अस्थि कलश निकाला जाता है। सुबह अस्थि कलश के साथ यात्रा भ्रमण होती है और फिर पूरे दिन अस्थि कलश पूर्वोदय बुद्ध विहार में लोगों के दर्शन के लिए रखे जाते है।

पूर्वोदय बुद्ध विहार में डॉ आंबेडकर की वह तस्वीर भी मौजूद जो अधिवेशन के दौरान ली गयी थी। यह उनकी यहां की पहली फोटो बताई जाती है। इस फोटो को भी सहज कर रखा गया है। अनुयायी इस फोटो पर भी पुष्प अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि देते है।