आगरा। राज्य सरकार द्वारा निबंधन विभाग के निजीकरण की योजना के खिलाफ अधिवक्ताओं, स्टांप वेंडरों और दस्तावेज लेखकों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को यह विरोध 18वें दिन भी जारी रहा। सदर तहसील में अधिवक्ताओं ने सरकार को जगाने के लिए थाली और लोटे बजाकर जोरदार प्रदर्शन किया।
इस अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते तहसील स्तरीय न्यायिक और राजस्व कार्य पूरी तरह ठप हैं। एसडीएम और तहसीलदार कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पा रही, वादकारी निराश लौट रहे हैं।
बार एसोसिएशन के महासचिव अरविंद कुमार दुबे ने स्पष्ट कहा कि जब तक सरकार निजीकरण की नीति को वापस नहीं लेती, अधिवक्ता कोई काम नहीं करेंगे।
हड़ताल का मूल कारण है निबंधन विभाग में पीपीपी मॉडल के तहत फ्रंट ऑफिस बनाकर निजी “निबंधन मित्रों” की भर्ती और दस्तावेज पंजीकरण जैसे काम को निजी हाथों में सौंपना। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह व्यवस्था पारदर्शिता और निष्पक्षता को समाप्त कर देगी।
तीन मई से जारी इस हड़ताल के चलते अब तक आगरा में 80 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व नुकसान का अनुमान है। हड़ताल से तहसीलों में बैनामा और अन्य पंजीकरण कार्य पूरी तरह बंद है।
मांगें पूरी न होने तक जारी रहेगा आंदोलन
अधिवक्ताओं ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई बन चुका है। वे निजीकरण की किसी भी कोशिश को तहसील स्तर पर सफल नहीं होने देंगे।