-बुद्धि की प्राप्ति तभी होगी जब मां सरस्वती के साथ चित्रगुप्त की पूजा होगी: स्वामी सच्चिदानंद
-केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने कहा- शिक्षा के साथ राजनीति में भी गंभीर हो कायस्थ समाज
आगरा। सनातन धर्म का आधार कर्म है और कर्म फल के जो दाता हैं वह श्री चित्रगुप्त भगवान ही हैं। चित्रगुप्त भगवान की आराधना के बिना मां सरस्वती भी ज्ञान का पूर्ण वरदान नहीं देतीं। उनका ध्यान और पूजन सिर्फ कायस्थ समाज ही नहीं, अपितु समस्त समाज के लोग आज कर रहे हैं।
अखिल भारतीय श्री चित्रांश वंशज महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अपने आराध्य श्री चित्रगुप्त जी की इस महिमा का बखान किया पीठाधीश्वर श्री चित्रगुप्त पीठ, वृंदावन स्वामी सच्चिदानंद जी ने।
रविवार को संजय प्लेस स्थित अवध बैंकट हॉल में महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में पहली बार आयोजित किया गया। अधिवेशन में समाज के लोगों ने विभिन्न राज्यों से आकर सहभागिता की।
अधिवेशन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, एमएलसी विजय शिवहरे, पीठाधीश्वर कायस्थ समाज वृंदावन स्वामी सच्चिदानंद, राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेंद्र माथुर, प्रदेश महासचिव अरुण भटनागर, शैलेन्द्र माथुर, जिलाध्यक्ष संजय सक्सेना, उपाध्यक्ष शैलेंद्र माथुर, जिलाध्यक्ष विधि समीर भटनागर, डॉ. राहुल राज ने भगवान चित्रगुप्त के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
पीठाधीश्वर श्री चित्रगुप्त पीठ, वृंदावन स्वामी सच्चिदानंद ने अधिवेशन में घोषणा की कि विश्व की प्रथम श्री चित्रगुप्त पीठ वृंदावन में स्थापित हो चुकी है। इतना ही नहीं 18 और 19 फरवरी को महाकुंभ, प्रयागराज में संयुक्त स्नान के साथ पांच महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक होगा और श्री चित्रगुप्त अखाड़े की घोषणा होगी।
उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि कायस्थ समाज से ही स्वामी विवेकानंद, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चंद्र बोस चित्रगुप्त जी के वंशज ही थे। हमें उन्हीं के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अपनी भूमिका तय करनी है।
मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने समाज की शिक्षा के प्रति समर्पित भाव की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कहा कि शिक्षा के प्रति चित्रगुप्त समाज जितना गंभीर है, उतना ही गंभीर उसे राजनीतिक क्षेत्र में भी होने की आवश्यकता है।
एमएलसी विजय शिवहरे ने कहा कि कायस्थ समाज अन्य समाज के लोगों के लिए प्रेरणा का काम करता है। समाज यह अच्छी तरह से जानता है कि बिना शिक्षा के विकास संभव नहीं है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेंद्र माथुर ने कहा कि समाज के हर वर्ग तक विकास पहुंचाना हम सभी का कर्तव्य है। महिलाओं को स्वावलंबन के प्रति जागरूक भी संस्था करती है। सेवा कार्य संस्था द्वारा किए जाते हैं।
समारोह में देश के विकास और सेवा को समर्पित समाज के 50 चिकित्सको, न्यायाधीशों, शिक्षाविदों का सम्मान किया गया। मेधावी छात्र-छात्राओं को स्मृति चिह्न देकर प्रोत्साहित किया गया। अतिथियों ने संस्था की स्मारिका का विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन कवि मोहित सक्सेना और डॉ. निशा माथुर एवं दयाकांत सक्सेना ने किया।
ओज रस के कवि मोहित सक्सेना ने काव्य पाठ से कायस्थ समाज के शौर्य का बखान किया। अनुष्का श्रीवास्तव, अनन्या श्रीवास्तव,आरोही, प्रियांशी, हर्षिता, वाणी आदि ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया।
इस अवसर पर श्रुति सिंह, नितिन जौहरी, आरपी सक्सेना, रीनू श्रीवास्तव, टीना माथुर, जितेन्द्र भटनागर, अक्षय श्रीवास्तव, हर्षित सक्सेना, विनोद कुमार सक्सेना, अजीत सक्सेना, प्रदीप कुलश्रेष्ठ, डॉ. अनूप अस्थाना, अशोक कुलश्रेष्ठ, योगेश श्रीवास्तव, अशोक प्रकाश कुलश्रेष्ठ, शिप्रा कुलश्रेष्ठ, बृज मोहन कुलश्रेष्ठ, संजय दत्त माथुर, आशीष श्रीवास्तव, राजीव कुमार रंजन, शैलेन्द्र माथुर, अजीत सक्सेना, डॉ अरुण सक्सेना, डॉ श्रुति सिन्हा, डॉ सौरभ सक्सेना आदि उपस्थित रहे।