Agra News: सूर कुटी दृष्टिबाधित विद्यालय को बचाने की मुहिम, जिला मुख्यालय में दिव्यांग बच्चों ने शुरू किया धरना

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आगरा: जिला मुख्यालय परिसर में ‘रघुपति राघव राजा राम’ गान के साथ धरना दे रहे बच्चे कीठम स्थित सूर कुटी दृष्टिबाधित विद्यालय के छात्र हैं। यह सभी छात्र नेत्रहीन हैं और अपने स्कूल को बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं। सारे रास्ते बंद हो जाने के बाद आज दृष्टिबाधित विद्यालय के नेत्रहीन छात्र जिला मुख्यालय पहुंचे और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। वन विभाग इस विद्यालय को खत्म करने की कवायद में लगा हुआ है।

भगवान श्रीकृष्ण के भक्त सूरदास एक संत होने के साथ—साथ महान कवि और संगीतकार भी थे। अपनी रचनाओं में उन्होंने श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया है। जानकरी के मुताबिक कवि सूर आगरा-मथुरा रोड पर स्थित रुनकता नामक गांव में पैदा हुए थे और इसी स्थान से उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के जीवन को अपने काव्य में संकलन किया। बाद में यही पर दृष्टिबधित विद्यालय शुरू हुआ।

दृस्टिबधित विद्यालय के प्रधानाचार्य ने आरोप लगाया है कि वन विभाग द्वारा बर्ड सेंचुरी के नाम पर इस स्कूल को उजाड़ने की तैयारी की जा रही है। जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कीठम के बर्ड सेंचुरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद वन विभाग ने विद्यालय पर बंदिशें लगाना शुरू कर दिया। विद्यालय की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, उसका जीर्णोद्धार नहीं होने दिया जा रहा है। हालात यह है कि स्कूल में पढ़ने वालों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है।

दानदाताओं से भी वसूलते है पैसे

धरने पर बैठे विद्यालय के प्रधानाचार्य ने आरोप लगाया है कि सूर कुटी दृष्टिबाधित विद्यालय दानदाताओं के सहयोग से चलता है। सरकारी मदद इस स्कूल को नहीं मिलती है लेकिन कीठम में इस स्कूल में आने वाले दानदाताओं से भी वहां के वनकर्मी पैसे वसूलते हैं। जिसका कई बार विरोध हुआ लेकिन हल कोई नहीं निकला है। वन विभाग कर्मियों द्वारा दानदाताओं से की जाती अवैध वसूली और अभद्रता के चलते दानदाताओं ने भी वहां आना बंद कर दिया है जिससे इस स्कूल की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है।

अनिश्चितकालीन धरना हुआ शुरू

3 छात्र और दृष्टि बाधित स्कूल प्रशासन अनिश्चितकालीन धरने पर जिला मुख्यालय में बैठ गए हैं। यहां पर उन्होंने खानपान बनवाने की भी व्यवस्था शुरू कर दी है जिससे धरने पर बैठे बच्चों को भोजन मिल सके और उनका स्वास्थ्य खराब ना हो। अब इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि दिव्यांग बच्चे जिला प्रशासन से आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं।