आगरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज आगरा के ऐतिहासिक शाही हमाम को अंतरिम संरक्षण देते हुए उसके विध्वंस पर रोक लगा दी। यह फैसला 400 साल पुराने इस स्मारक के लिए एक बड़ी राहत है, जो 1620 ई. में अली वर्दी खान द्वारा निर्मित किया गया था और हाल ही में निजी व्यक्तियों द्वारा ध्वस्त किए जाने का खतरा मंडरा रहा था।
आज, 26.12.2024, यह मामला अवकाशकालीन खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें माननीय न्यायमूर्ति सलील राय और माननीय न्यायमूर्ति समीत गोपाल शामिल थे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विक्रांत डबास, अधिवक्ता शाद खान और अधिवक्ता चंद्र प्रकाश सिंह ने अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं। उन्होंने शाही हमाम की राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इसके विध्वंस को रोकने की अपील की।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एक साल पहले इस स्मारक का सर्वेक्षण किया था और इसे ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया था, लेकिन इसे अभी तक प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत आधिकारिक रूप से संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि स्मारक को बचाना ASI और राज्य का कर्तव्य है।
अदालत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए आगरा पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे स्मारक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात करें और किसी भी प्रकार के आगे के नुकसान को रोकें।
मामले की जानकारी:
मामला संख्या: WPIL/270665/2024
पक्षकार: चंद्रपाल सिंह राणा बनाम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं अन्य
जिला: आगरा, उत्तर प्रदेश
यह जीत विभिन्न विरासत संगठनों और व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है, जिनमें सिद्धार्थ जी और शांतनु (हेरिटेज हिंदुस्तान), अत्मिये एरम (संस्थापक, जर्नी टू रूट्स), ताहिर अहमद (आगरा हेरिटेज वॉक्स), अरसलान (हेरिटेज विद अरसलान), भानु (आगरा और हम), और अनिल जी (सिविल सोसाइटी) शामिल हैं। इन सभी की प्रतिबद्धता और अधिवक्ताओं के मजबूत कानूनी समर्थन ने इस मुद्दे को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई।
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