आगरा में भी स्वास्थ्य विभाग के हालात अच्छे नहीं हैं। जनपद का जिला अस्पताल और विवाद अब एक दूसरे के पूरक हो चले हैं। शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता हो जब अस्पताल में कोई न कोई घटना न घटती हो। एसआईसी डॉक्टर राजेंद्र अरोड़ा जिला अस्पताल के कूलर में पानी भरते हुए दिखाई देते हैं तो कभी शौचालय की सफाई की बात करते हैं। इस बार मामला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को मिलने वाला भोजन है। बीते मंगलवार को जिला अस्पताल में वितरण होने वाले भोजन में कीड़े निकलने से आगरा से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया है।
जिला अस्पताल के मरीज को वितरित की गई दाल में कीड़े निकले थे। खबर चलने के बाद आगरा से लेकर लखनऊ तक स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। आनन फानन में एसआईसी डॉक्टर राजेंद्र अरोड़ा ने तीन सदस्यों की कमेटी गठित की है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट एसआई सी को सौंपेगी। वहीं दूसरी तरफ आगरा के जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने भी इस मामले का संज्ञान लेकर जिला अस्पताल में एक कमेटी भेजी, जिसने बुधवार को पहुंचकर अस्पताल की किचन से सैंपल लिए हैं। अब सवाल ये उठता है कि मंगलवार की घटना थी, तो बुधवार को सैंपल लेने का क्या औचित्य है। आख़िर मंगलवार को ही दाल के सैंपल क्यों नहीं लिए गए।
वहीं इस पूरे प्रकरण में एसआईसी डॉ. राजेंद्र अरोड़ा का कहना है कि दाल में कीड़े मिलने के मामले में तीन सदस्यों की एक कमेटी गठित की है। जिसमें डॉक्टर सीपी वर्मा के साथ-साथ डॉक्टर एसके वर्मा और रामनिवास मित्तल शामिल हैं। डॉ. राजेंद्र अरोड़ा ने आरोप लगाया है कि मेरे खिलाफ षड्यंत्र के तहत साजिश रची जा रही है। मुझे बदनाम करने की नीयत से यह सब किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे अनुसार यह सारा मामला किचन का नहीं है, जिला अस्पताल की किचन में कोई गड़बड़ नहीं है, यह गड़बड़ी सिर्फ NRC में हुई है।
अब देखना होगा कि स्वास्थ्य महकमा मामले में क्या रुख अपनाते हैं, यह मामला सीधे मरीजों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। जिला अस्पताल में जो मरीज अपनी मर्ज का उपचार करने की पहुंचते हैं, वही मरीज यहां पर दूषित दाल का सेवन कर बीमार हो सकते हैं, उन्हें फूड प्वाइजनिंग भी हो सकती है।
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