− तिलहन व्यापार एवं उद्योग के हितधारकों को लाया जाएगा एक मंच पर, होगा नवीनतम तकनीक, नीति और व्यापारिक मुद्दों पर विचार− विमर्श
– देश भर से 1200 से अधिक तेल व्यवस्या से जुड़े व्यापारी उद्योगपति करेंगे सहभागिता
− तेल के आयात को घटाने पर करेंगे मंथन, सरसों की फसल को खपत के आधार पर बढ़ाने का रहेगा जोर, उद्योग की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा
– रखी जाएंगी सरकार से मांग, एथेनॉल के समानांतर सरसों तेल उत्पादन पर भी मिले सब्सिडी, अन्य राज्यों जैसी मंडी टैक्स, जीएसटी में भी मिले छूट
आगरा। यूपी ऑयल मिलर्स एसोसिएशन द्वारा आगामी 22-23 मार्च 2025 को आगरा में सेन्ट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड और मस्टर्ड आयल प्रोड्यूसर एसोसिएशन आफ इंडिया के सहयोग से 45 वीं अखिल भारतीय रबी तिलहन-तेल सेमिनार का आयोजन होने जा रहा है।
सेमिनार का उद्घाेषणा समारोह रविवार को होटल होली डे इन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर यूपी ऑयल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया कि 22 और 23 मार्च को दो दिवसीय 45 वीं अखिल भारतीय रबी तिलहन सेमिनार तेल, तिलहन व्यापार एवं उद्योग का आयोजन शिल्पग्राम रोड स्थित होटल ताज कन्वेंशन सेंटर में होगा।
प्रथम दिवस कार्यकारिणी बैठकें हाेंगी और सांस्कृतिक संध्या सजेगी। 23 मार्च को सुबह 9:30 बजे विधिवत उद्घाटन किया जाएगा। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और विशिष्ट अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल होंगे।
उन्होंने बताया कि भारत में खाद्य तेल की खपत अधिक है और उत्पादन बहुत कम। विडंबना है कि खपत का लगभग 66 प्रतिशत तेल आयात किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अधिक से अधिक उत्पादन क्षमता बढ़ाकर तेल का आयात कम से कम करना चाहते हैं। ये तभी संभव है जब एकजुटता के साथ सभी आगे बढ़ें और उत्पादन की समस्याओं का समाधान करें।
राष्ट्रीय कन्वीनर दिनेश राठौर ने बताया कि संगोष्ठी में विभिन्न राज्यों से 1200 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। तेल- तिलहन उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के तमाम हित धारकों को एक मंच पर लाना और नवीनतम तकनीक, नीतिगत मुद्दों तथा व्यापारिक समस्याओं पर गहन विचार-विमर्श करना सेमिनार का मुख्य उद्देश्य रहेगा है। इन हित धारकों में तिलहन उत्पादक, खाद्य तेलों के निर्माता, व्यापारी एवं उपभोक्ता आदि शामिल रहेंगे।
एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भरत भगत ने बताया कि सरसों का उत्पादन कैसे बढ़े, खाद्य तेल उद्योग की समस्याओं पर मंथन करते हुए खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता लाने का प्रयास संगोष्ठी में तलाशा जाएगा।
संगोष्ठी में देश के प्रमुख विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों, उद्यमियों, व्यापारियों एवं अन्य सम्बन्धित सेक्टर्स के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है।
एसोसिएशन के सयुंक्त उपाध्यक्ष कुमार कृष्णा गोयल ने कहा की संगोष्ठी में तेल-तिलहन उद्योग के समक्ष मौजूद चुनौतियों, समस्याओं एवं संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और तिलहनों के उत्पादन खाद्य तेलों के आयात एवं बाजार भाव के परिदृश्य का सटीक अनुमान लगाया जाएगा 22-23 मार्च तक रबी कालीन तिलहन फसलों और विशेषकर सरसों की नई फसल की जोरदार कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आवक शुरू हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि एफएसएसआई जब कोई कार्यवाही करती है तो उस कार्रवाई की चपेट में रिटेलर और उत्पादक दोनों आ जाते हैं जबकि मुख्य आरोपी पैकर्स होते हैं, सरकार के समक्ष मांग रखी जाएगी कि स्थानीय पैकर्स पर कार्रवाई करें, क्योंकि कोई भी तेल मिलर अपने उत्पादन में मिलावट करके अपनी गुणवत्ता या नाम को खराब नहीं करता। मिलावट पैकिंग के स्तर पर होती है इसमें रिटेलर का भी कोई दोष नहीं होता।
सेमिनार में स्मारिका का प्रकाशन भी किया जाएगा जिसमें तिलहन-तेल क्षेत्र से सम्बन्धित तमाम जानकारी, आंकड़े तथा सूचना समाहित होगी।
उद्घाेषणा समारोह में विशेष रूप से उपस्तिथित लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव मनीष अग्रवाल रावी ने कहा की इस आयोजन के माध्यम से तेल, तिलहन व्यापार से जुड़े उद्योगपतियों एवं व्यापारियों का यह सम्मेलन एक सयुंक्त प्रयास के रूप में देखा जा सकता है देश में खाद्य तेल उत्पादन का एक विशेष महत्व रखता है सयुंक्त प्रयास और विचार इस उद्योग और व्यापार को नयी उचाइयां और गति प्रदान करेगा l
सेमिनार में यह रखी जाएगी सरकार के समक्ष मांगे
राष्ट्रीय कन्वीनर दिनेश राठौर ने बताया कि सेमिनार में विभिन्न मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा जिसमें प्रमुख रूप से गत वर्ष 6 लाख हेक्टेयर जमीन में सरसों की खेती कम हुई थी इसके पीछे का कारण है की किसान को बाजार में अपने उत्पादन का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव मिल पाता है। इसके कारण सरसों की फसल का उत्पादन का क्षेत्र घटा है और आगे भी घटना की संभावना है। उन्होंने कहा की दूसरी प्रमुख मांग है कि एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार प्लांट धारकों को सब्सिडी दे रही है। जिसके कारण डीडीएस का उत्पादन गत वर्ष 30 लाख था और इस वर्ष 50 लाख होने जा रहा है जबकि सरसों खली का दाम 3000 से घटकर ₹2000 हो गया है।
सरसों के तेल पर भी प्लाट धारकों को एथेनॉल के समांतर ही सब्सिडी देने की मांग सेमिनार में रखी जाएगी। मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि प्रदेशों में मंडी टैक्स, जीएसटी, कैपिटल सब्सिडी नए उत्पादन यूनिट पर दी जाती है, उसके समानांतर उप्र सरकार से भी मांग की जाएगी ताकि यहां के किसानों को भी अन्य प्रदेशों की भांति ही सुविधा और सब्सिडी मिल सके। उन्होंने कहा कि इसी तरह उत्तर प्रदेश में मंडी टैक्स की छूट देने के लिए किसानों से जोत बही, खसरा खतौनी आदि मांगे जाते हैं जिसे यदि किसान अपनी जींस बचने के समय साथ नहीं ले जाता तो उसको टैक्स में छूट का लाभ नहीं मिल पाता जबकि अन्य प्रदेशों में इस तरह के नियम नहीं है। अन्य प्रदेशों के इस मॉडल को उत्तर प्रदेश सरकार भी अपनाकर किसानों को राहत दे, यह मांग रखी जाएगी। जीएसटी का इनपुट क्रेडिट वैसे 5 प्रतिशत है जबकि पैकेजिंग पर यह क्रेडिट 18% हो जाता है इसे भी वापस करने की मांग सेमिनार में रखी जाएगी।
ये रहे उपस्थित
उध्घोषणा समारोह में प्रमुख रूप से दीपक गुप्ता, महेश राठौड़, राकेश गुप्ता, मधुकर गुप्ता, वासु पंजवानी, नरेश करीरा, रमन जैन, जयराम, रामप्रकाश राठौड़, जोनू गुप्ता, राघव गुप्ता, संजोग गुप्ता, राजीव गुप्ता आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रबंधन संदीप उपाध्याय एवं सागर तोमर द्वारा देखा जा रहा है।
रिपोर्टर- पुष्पेंद्र गोस्वामी